शिमला, 26 अक्टूबर – हिमाचल प्रदेश की विलुप्त होती लोक कलाओं और परंपराओं को संरक्षित करने के उद्देश्य से आज ऐतिहासिक रिज शिमला में भव्य आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम का आयोजन उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र पटियाला, संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार एवं जिला भाषा एवं संस्कृति विभाग, शिमला के संयुक्त तत्वावधान में हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में हिमाचल प्रदेश भाषा एवं संस्कृति विभाग के संयुक्त निदेशक मंजीत शर्मा ने शिरकत की और अध्यक्षता पद्म श्री विद्यानंद सरैक ने की।
हिमाचल की अनूठी लोक कला का प्रदर्शन
कार्यक्रम का आगाज जिला किन्नौर के वीणा वादक कृष्ण लाल द्वारा किन्नौरी वीणा की प्रस्तुति से हुआ। सिरमौर जिले से डॉ. जोगिंद्र सिंह हाब्बी व उनके दल ने भडाल्टू लोक नृत्य से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। सोलन से आए जिया लाल व उनके दल ने पारंपरिक लोक गीतों से समां बांध दिया।
शिमला के मनोज तोमर और उनके दल ने शिमला, सोलन, मंडी और चंबा जिलों के पारंपरिक गीत प्रस्तुत किए। सिरमौर से कैलाश और उनके दल ने रेणुका माई के गीत के साथ कार्यक्रम का आरंभ किया और दीपक, परात, माला, रासा, नाटी जैसे नृत्यों से दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। कुपवी क्षेत्र के गोपाल सिंह मानटा और उनके दल ने दिवाली के मौके पर किए जाने वाले बुड़ियात नृत्य के साथ दर्शकों को झूमने पर मजबूर किया।
पद्म श्री विद्यानंद सरैक का लोक संस्कृति संरक्षण का संदेश
अपने विचार व्यक्त करते हुए पद्म श्री विद्यानंद सरैक ने कहा कि लोक संस्कृति को संरक्षित करने की आवश्यकता है। उन्होंने युवाओं से लोक संस्कृति को अपनाने का आह्वान करते हुए कहा, “लोक संस्कृति हमारे खानपान और रहन-सहन से जुड़ी हुई है, इसे संरक्षित करना हम सभी का कर्तव्य है।”
प्राचीन संस्कृति के संरक्षण का सराहनीय प्रयास
वन विभाग के सेवानिवृत्त अधिकारी देव ठाकुर ने इस आयोजन को सराहनीय बताया। उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम से हमारी युवा पीढ़ी अपनी संस्कृति से जुड़ सकती है।
कार्यक्रम का संचालन विनोद शर्मा ने किया। इस अवसर पर अन्य गणमान्य अतिथियों में राजेश बख्शी, अनिल हारटा, नीतीश पोजटा, किशोर कुमार, देवेंद्र कुमार, शिवम् ठाकुर, भूपेश शर्मा, और अशोक कुमार उपस्थित रहे।
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