तहसील औट के अंतर्गत ग्राम पंचायत फर्श के खबलाश गांव में सोमवार को देव खबलाशी नारायण के करोड़ों रुपये की लागत से बने नवनिर्मित मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा विधिवत रूप से संपन्न हुई। यह धार्मिक आयोजन शाम 6 से 7 बजे के बीच हुआ, जिसमें देवता के भंडारी, कारदार, पुजारी, गूर, पंडित और मुख्य कार-करिंदों ने मंदिर के ऊपरी हिस्से में चढ़कर पूरे विधि-विधान से प्रतिष्ठा कार्यक्रम पूरा किया। इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी हजारों श्रद्धालु बने।
प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में विशेष रूप से देव लक्ष्मी नारायण कोट ज्वालापुर और देव लक्ष्मी नारायण लोट ने शिरकत की। इसके अलावा स्नोर घाटी समेत अन्य क्षेत्रों से करीब चार दर्जन देवी-देवताओं की कमेटियों को इस अवसर पर आमंत्रित किया गया था। देव खबलाशी नारायण मंदिर का निर्माण कार्य वर्ष 2016 में शुरू हुआ था, जो अब पूर्ण हो गया है। यह मंदिर पूरी तरह लकड़ी से पारंपरिक पैगोड़ा शैली में तैयार किया गया है।
इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि इसके अंदर भगवान श्रीकृष्ण अवतार की 62 लीलाओं को बेहद बारीकी और भव्यता के साथ उकेरा गया है। ये आकृतियां मंदिर के चारों ओर अंदर की दीवारों पर बनाई गई हैं। निर्माण कार्य बिहार, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश के कारीगरों द्वारा किया गया है। मंदिर अधिक ऊंचाई वाले पहाड़ी क्षेत्र में स्थित होने के कारण साल में केवल 6 से 7 महीने ही काम संभव हो पाता था, जबकि अत्यधिक ठंड के चलते शेष समय निर्माण कार्य बाधित रहता था।
देवता के भंडारी ने बताया कि खबलाश गांव में शराब और मुर्गे पर पूरी तरह प्रतिबंध है। साथ ही मूल स्थान पर बने इस नवनिर्मित मंदिर और देव भंडार में किसी भी प्रकार के विद्युत उपकरण लगाने की मनाही है। मंदिर तक पहुंचने के लिए मंडी-कुल्लू फोरलेन से पनारसा होकर नाऊ, सोझा, बदीरन और फर्श सड़क मार्ग का उपयोग किया जा सकता है। पनारसा से खबलाश गांव की दूरी करीब 22 किलोमीटर है। पहले सड़क सुविधा केवल फर्श तक थी, लेकिन चार साल पहले खबलाश गांव भी सड़क से जुड़ गया है।
देव खबलाशी नारायण का रथ अपनी प्राचीन और विशिष्ट शैली के लिए जाना जाता है। देवता का मूल स्थान खबलाश ही है। यह देव रथ न तो सुरंग से गुजरता है, न बैरियर के नीचे से और न ही किसी गेट के नीचे से। देव खबलाशी नारायण अपने हारियानों सहित हमेशा पैदल मार्ग से ही यात्रा करते हैं। मान्यता है कि जब भी क्षेत्र में सूखा पड़ता है, तो हारियान क्षेत्र के लोग और श्रद्धालु देव भंडार पहुंचकर वर्षा की प्रार्थना करते हैं। इसके बाद देव रथ बाहर निकलकर चाननी में विराजमान होता है और निश्चित समय के भीतर बारिश हो जाती है।
देव खबलाशी नारायण के कारदार ठाकर दास ने बताया कि मंदिर प्रबंधन कमेटियों, नौ कमेटी दारान, समस्त हारियान क्षेत्र, दानी सज्जनों और अन्य विभागों के सहयोग से इस मंदिर का निर्माण कार्य पूरा हुआ है। कोरोना काल के दौरान करीब दो वर्षों तक निर्माण कार्य बंद रहा था। नवनिर्मित मंदिर में भगवान के 24 अवतार और श्रीकृष्ण जन्म से लेकर कंस वध तक की 38 लीलाओं को आकर्षक रूप में दर्शाया गया है, जो श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बन रही हैं।
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