हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के आलमपुर-ठाकुरद्वारा क्षेत्र में रहने वाले मंगल सेन और उनका परिवार गंभीर संकट से गुजर रहा है। दिहाड़ी मजदूरी करने वाले मंगल सेन पिछले एक साल से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं। बीमारी के कारण वह काम करने में असमर्थ हो गए हैं, जिससे पूरे परिवार की आर्थिक स्थिति बुरी तरह चरमरा गई है। उनके पास रहने के लिए एक कच्चा मकान है, जो अब बरसात में गिरने की कगार पर है। परिवार का पालन-पोषण और इलाज का जिम्मा अब उनकी पत्नी कंचन सेन ने संभाला है।
कभी दिहाड़ी कर परिवार का पेट पालने वाले मंगल सेन की तबीयत बिगड़ने के बाद उनकी पत्नी कंचन लोगों के घरों में झाड़ू-पोंछा और बर्तन साफ करने का काम करने लगीं, ताकि इलाज का खर्च उठाया जा सके। शुरुआत में स्थानीय लोगों और दो समाजसेवी संस्थाओं ने उनकी कुछ मदद की थी, लेकिन अब स्थितियां इतनी खराब हो चुकी हैं कि कंचन को काम पर जाना भी छोड़ना पड़ा है, क्योंकि अब उन्हें पति की दिन-रात देखभाल करनी पड़ रही है। परिवार की जीविका और इलाज का खर्च अब पूरी तरह लोगों की मदद पर निर्भर हो गया है।
डॉक्टरों ने मंगल सेन को इलाज के लिए एक ऐसा इंजेक्शन लेने को कहा है जिसकी कीमत ₹1.25 लाख है। कंचन बताती हैं कि पहले आईजीएमसी में कीमोथैरेपी और रेडिएशन हुआ था, लेकिन अब डॉक्टरों ने इस इंजेक्शन के लिए कहा है, जो हिमकेयर योजना में कवर नहीं होता। उन्हें यह इंजेक्शन बाहर से खरीदना पड़ेगा, जिससे उनकी चिंता और बढ़ गई है।
इस बीच, लगातार हो रही बारिश के चलते उनका कच्चा मकान भी टूटने की स्थिति में है। परिवार को हर दिन डर के साये में रात गुजारनी पड़ती है। उनका परिवार आईआरडीपी (IRDP) सूची में शामिल है, लेकिन पंचायत स्तर पर अभी तक उन्हें पक्का मकान बनाने के लिए कोई सहायता नहीं मिली है।
मंगल सेन के दो बेटे हैं—बड़ा बेटा 11वीं और छोटा बेटा 9वीं कक्षा में पढ़ता है। दोनों बच्चे आलमपुर की राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला में पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन घर की स्थिति और पिता की बीमारी ने उनकी पढ़ाई पर भी असर डाला है।
ग्राम प्रधान शकुंतला देवी ने बताया कि मंगल सेन की जमीन लाल लकीर में आती है, जिस कारण प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उन्हें शामिल नहीं किया जा सकता। हालांकि यह परिवार छह पीढ़ियों से वहीं रह रहा है, फिर भी तकनीकी कारणों से उन्हें आवास योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा। प्रधान ने उन्हें भूमि के लिए आवेदन करने को भी कहा है और श्रम अधिनियम के अंतर्गत मदद दिलाने की कोशिश की है।
इस संबंध में बीडीओ लंबागांव, सिकंदर सिंह ने जानकारी दी कि इस परिवार के मकान का सर्वे कराया गया है और जैसे ही फंड उपलब्ध होंगे, मकान निर्माण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि संभवतः यह सहायता नई पंचायत में उपलब्ध होगी।
प्रदेश के मंत्री यादविंद्र गोमा ने आश्वासन दिया है कि वह स्वयं और सरकार की ओर से इस परिवार की पूरी मदद करेंगे। उन्होंने कहा कि मकान की स्थिति को देखते हुए प्रशासन को उचित आदेश दिए जाएंगे और हरसंभव सहायता दी जाएगी।
एसडीएम संजीव ठाकुर ने कहा कि फिलहाल उनके पास ऐसा कोई मामला नहीं पहुंचा है, लेकिन अगर मामला संज्ञान में आता है तो इसकी जांच कर परिवार को आवश्यक सहायता दी जाएगी।
फिलहाल यह परिवार हर तरह से संघर्ष कर रहा है—एक तरफ कैंसर का इलाज, दूसरी तरफ आर्थिक तंगी और तीसरी तरफ घर का खतरा। ऐसे में यह मामला सरकारी तंत्र और समाज दोनों के लिए एक गंभीर सोच का विषय बन गया है।
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