केंद्र सरकार पर मनरेगा को कमजोर करने और इसे लगभग समाप्त करने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सोमवार को अपने मंत्रिमंडल सहयोगियों के साथ शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष धरना दिया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार के फैसलों से ग्रामीण क्षेत्रों के गरीबों के साथ सीधा कुठाराघात हुआ है। उन्होंने कहा कि मनरेगा की शुरुआत कांग्रेस सरकार ने ग्रामीण इलाकों में रोजगार के अवसर पैदा करने के उद्देश्य से की थी, जो पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और कांग्रेस नेता सोनिया गांधी की दूरदर्शी सोच का परिणाम थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले मनरेगा के तहत ग्राम पंचायतों और ग्राम सभाओं की मांग पर विकास कार्य तय होते थे और स्थानीय जरूरतों के अनुसार योजनाएं लागू की जाती थीं, लेकिन अब नए प्रावधानों में पंचायतों की भूमिका सीमित कर दी गई है। अब केंद्र सरकार ही धनराशि आवंटित करेगी और यह भी तय करेगी कि किस क्षेत्र में कौन सा काम होगा। उन्होंने ऐलान किया कि कांग्रेस पार्टी इस फैसले के विरोध में जिला और ब्लॉक स्तर पर धरना प्रदर्शन करेगी, ताकि लोगों को केंद्र सरकार के इस जनविरोधी निर्णय के बारे में जागरूक किया जा सके।
सीएम सुक्खू ने कहा कि पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश को इन फैसलों से बड़ा झटका लगा है। पहले मनरेगा में मजदूरी की 100 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार देती थी और इसके ऊपर प्रदेश सरकार अपनी ओर से 80 रुपये अतिरिक्त देती थी। लेकिन अब नए नियमों के तहत मजदूरी का 90 प्रतिशत केंद्र और 10 प्रतिशत राशि प्रदेश सरकार को वहन करनी होगी। इसके अलावा जिला परिषदों में तैनात अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए बजटीय प्रावधान भी समाप्त कर दिए गए हैं। उन्होंने मांग की कि मनरेगा को पंचायतों की मांग और क्षेत्र की विकासात्मक जरूरतों के आधार पर लागू किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि नए एक्ट से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर घटेंगे और सड़कों, रास्तों, तालाबों जैसे विकास कार्य प्रभावित होंगे।
इस मौके पर उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष विनय कुमार, उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान, राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी, पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह, तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी, आयुष मंत्री यादवेंद्र गोमा सहित कई मंत्री, विधायक, कांग्रेस नेता और निगम-बोर्डों के पदाधिकारी मौजूद रहे।
धरने के दौरान एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर पर पलटवार करते हुए कहा कि उन्हें तथ्य देखकर और सोच-समझकर बयान देना चाहिए। उन्होंने पीडीएनए के आंकड़ों का जिक्र करते हुए कहा कि 2023-24 में 9300 करोड़ रुपये का आकलन हुआ था, जिसमें केंद्र सरकार की हिस्सेदारी मात्र 15 प्रतिशत के आसपास है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार राशि एकमुश्त देने के बजाय किस्तों में दे रही है, जिससे प्रदेश और जनता को नुकसान हो रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष को दिल्ली जाकर प्रदेश के लिए स्वीकृत धनराशि दिलाने की कोशिश करनी चाहिए, न कि उसे रुकवाने की। उन्होंने आरोप लगाया कि पीएमजीएसवाई-4 के तहत स्वीकृत राशि भी अभी तक नहीं मिली है।
सीएम सुक्खू ने प्रदेश भाजपा पर भी निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी पांच गुटों में बंटी हुई है और उसका कोई स्पष्ट नीतिगत सिद्धांत नहीं है। उन्होंने कहा कि भाजपा की कथनी और करनी में बड़ा अंतर है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने सेब बागवानों के मुद्दे पर भी केंद्र सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि न्यूजीलैंड के सेब पर आयात शुल्क कम करने से हिमाचल के बागवानों को नुकसान होगा और इस मुद्दे को वह केंद्र सरकार के समक्ष मजबूती से उठाएंगे।
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