Kangra: कठुआ में ABVP अधिवेशन में पहुंचे जयराम ठाकुर, बोले- धारा 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर ने बदली विकास की तस्वीर

नूरपुर। हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के जम्मू-कश्मीर के 61वें प्रांत अधिवेशन में शामिल होने कठुआ पहुंचे। इस अधिवेशन में उन्होंने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि इस आयोजन में भाग लेकर उन्हें गर्व की अनुभूति हुई है और यह मंच राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका को मजबूत करने का सशक्त माध्यम है।

अपने प्रवास के दौरान जयराम ठाकुर ने हिमाचल प्रदेश में विद्यार्थी परिषद के प्रमुख स्तंभ रहे स्वर्गीय सुनील उपाध्याय के पैतृक गांव पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इसी दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री के लोकप्रिय कार्यक्रम ‘मन की बात’ को भी सुना। इसके अलावा उन्होंने लखनपुर में भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।

अधिवेशन को संबोधित करते हुए जयराम ठाकुर ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले के सुनील उपाध्याय नगर में आयोजित यह प्रांत अधिवेशन युवाओं के व्यक्तित्व और चरित्र निर्माण का सशक्त मंच है। उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद व्यक्ति निर्माण और राष्ट्र निर्माण की कार्यशाला है। अपने छात्र जीवन को याद करते हुए उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में पढ़ाई के दौरान उन्हें विद्यार्थी परिषद के साथ काम करने का अवसर मिला था, इसलिए यह प्रदेश उनकी कर्मभूमि भी रहा है। संघर्ष, संगठन और समर्पण की कई यादें इस क्षेत्र से जुड़ी हैं, जो आज फिर जीवंत हो उठीं।

कार्यक्रम से पहले मीडिया से बातचीत में जयराम ठाकुर ने कहा कि धारा 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में शांति, विकास और लोकतांत्रिक मजबूती की नई शुरुआत हुई है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी आई है और सुरक्षा व्यवस्था पहले से ज्यादा मजबूत हुई है। सड़कों, सुरंगों, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे बुनियादी ढांचे में बड़े स्तर पर सुधार हुआ है। निवेश बढ़ा है, रोजगार के नए अवसर बने हैं और पर्यटन ने नए रिकॉर्ड कायम किए हैं। पंचायत और स्थानीय निकायों को सशक्त कर लोकतंत्र की जड़ें मजबूत की गई हैं और केंद्र सरकार की योजनाएं अब अंतिम व्यक्ति तक पहुंच रही हैं।

अपने दौरे के दौरान जयराम ठाकुर ने लखनपुर में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि एक देश, एक विधान और एक निशान के लिए उन्होंने अपने प्राणों का बलिदान दिया। उनका बलिदान जम्मू-कश्मीर की एकता, अखंडता और राष्ट्रीय अस्मिता का अमिट प्रतीक है और उनके विचार आज भी देशवासियों के लिए प्रेरणास्रोत हैं।

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