Sirmaur: “मेरा बेटा बिना जांच दोषी ठहरा दिया गया” – आईजीएमसी विवाद पर डॉ. राघव नरूला की मां का भावुक बयान

आईजीएमसी शिमला में हुए विवाद के बाद टर्मिनेट किए गए डॉक्टर डॉ. राघव नरूला की मां रजनी नरूला ने पहली बार मीडिया के सामने आकर अपनी चुप्पी तोड़ी है। इस दौरान वह बेहद भावुक नजर आईं और बात करते हुए उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े। उन्होंने कहा कि दुनिया का कोई भी बच्चा अपने माता-पिता के बारे में अपशब्द बर्दाश्त नहीं कर सकता। रजनी नरूला का कहना है कि यह पूरा विवाद बड़ों की सूझबूझ की कमी के कारण बढ़ा, जिसे समय रहते सुलझाया जा सकता था।

उन्होंने कहा कि अगर मरीज अर्जुन सिंह के पिता समझदारी दिखाते तो मामला इतना आगे नहीं बढ़ता। रजनी नरूला के मुताबिक, उन्हें चाहिए था कि वे दोनों बच्चों, अपने बेटे और उनके बेटे, के पास जाते और पूछते कि गलती कहां हुई। इसके बाद दोनों को समझाते या डांट देते और यह कहते कि दोनों ही उनके बेटे हैं और मामला वहीं खत्म हो जाता। उन्होंने कहा कि अगर माता-पिता बच्चों को उग्र करने के बजाय सही दिशा में समझाएं, तो ऐसे विवाद कभी पैदा ही नहीं हों।

स्वास्थ्य मंत्री के बयान और कार्रवाई पर नाराजगी जताते हुए रजनी नरूला ने कहा कि उनके बेटे को बिना किसी जांच के दोषी करार दे दिया गया। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या स्वास्थ्य मंत्री ने इस पूरे मामले की कोई निष्पक्ष जांच करवाई थी। उनका कहना है कि बिना जांच उनके बेटे को गुंडा कहा गया और टर्मिनेशन का फैसला ले लिया गया, जो पूरी तरह अस्वीकार्य है। उन्होंने कहा कि अगर यह विवाद न होता तो उनका बेटा सरकारी सेवाओं के लिए पूरी तरह योग्य था, लेकिन अब बिना जांच उसे अयोग्य ठहरा दिया गया।

रजनी नरूला ने प्रशासन और सरकार से मांग की है कि इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष और गहन जांच करवाई जाए। उन्होंने मरीज अर्जुन सिंह के पिता को भी संदेश देते हुए कहा कि बच्चों को बच्चा ही रहने दिया जाए और उन्हें भड़काकर उग्र न किया जाए, ताकि समाज में इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों।

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