फतेहपुर के पत्रकार सुरिंदर मिन्हास ने मीडिया के सामने आकर अपनी पीड़ा साझा की और पूरे मामले की सिलसिलेवार जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 19 जनवरी 2025 को उनके द्वारा वायरल की गई एक खबर को किसी अन्य निजी चैनल ने एडिट कर 21 जनवरी को दोबारा वायरल किया। इस एडिटेड वीडियो में मुख्यमंत्री के 18 जनवरी के ज्वाली दौरे की फुटेज को 21 जनवरी के मंडी दौरे से जोड़कर गलत तरीके से पेश किया गया।
सुरिंदर मिन्हास का आरोप है कि 21 जनवरी को वायरल हुई इस एडिटेड खबर को फैलाने वाले निजी चैनल पर कार्रवाई करने के बजाय पुलिस ने बिना जांच-पड़ताल के 19 जनवरी को वायरल हुई उनकी असली और सही खबर के आधार पर उनके खिलाफ विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज कर दी। इतना ही नहीं, 21 जनवरी 2025 को उनका मोबाइल फोन भी जब्त कर लिया गया, जो अब तक उन्हें वापस नहीं मिला है।
पीड़ित पत्रकार ने बताया कि जब उन्होंने मोबाइल जब्ती और कार्रवाई का कारण जानने के लिए आरटीआई दायर की, तो आरटीआई के जवाब में उन्हें पहली बार जानकारी दी गई कि उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। उन्होंने स्पष्ट किया कि 18 जनवरी 2025 को मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ज्वाली दौरे पर थे, जहां एक युवक ने उनकी गाड़ी को रुकने का इशारा किया था। मुख्यमंत्री ने गाड़ी रुकवाकर उस युवक की बात सुनी थी। इस घटना का वीडियो युवक के एक दोस्त ने बनाकर उन्हें व्हाट्सएप पर भेजा था। इसके बाद उसी युवक ने मुख्यमंत्री का धन्यवाद करते हुए एक वीडियो बयान 19 जनवरी को भेजा, जिसे उन्होंने उसी दिन वायरल किया था।
सुरिंदर मिन्हास ने बताया कि 21 जनवरी को मुख्यमंत्री का मंडी दौरा था, जहां एक पत्रकार ने उनसे सवाल किया कि क्या उनका काफिला रोका गया था। मुख्यमंत्री ने जवाब दिया कि नहीं। पीड़ित पत्रकार का कहना है कि उस सवाल में 18 जनवरी के ज्वाली दौरे का कोई जिक्र नहीं था, बल्कि सवाल 21 जनवरी को लेकर था, इसलिए मुख्यमंत्री का जवाब पूरी तरह सही था। बाद में इसी बयान को एडिट कर गलत तरीके से पेश किया गया।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जब उन्होंने इस मामले में अतिरिक्त जानकारी के लिए उपमंडल पुलिस अधिकारी ज्वाली और थाना प्रभारी फतेहपुर से आरटीआई के तहत जानकारी मांगी, तो निर्धारित समय सीमा में कोई जवाब नहीं दिया गया। इसके बाद जब उन्होंने पुलिस अधीक्षक नूरपुर के समक्ष अपील दायर की, तो वहां भी सुनवाई नहीं हो पाई। अपील यह कहकर खारिज कर दी गई कि उन्हें दो बार बुलाया गया था, जबकि उनका कहना है कि सुनवाई से संबंधित पत्र उन्हें देरी से मिले।
अब पीड़ित पत्रकार ने राज्य सूचना आयोग में लिखित शिकायत दर्ज कर आरटीआई एक्ट 2005 के उल्लंघन पर कार्रवाई की मांग की है। इसके साथ ही उन्होंने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर के मामले में महामहिम राज्यपाल और मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश को दोनों वायरल खबरों की पेन ड्राइव भेजकर निष्पक्ष जांच की अपील की है।
For advertisements inquiries on HIM Live TV, Kindly contact us!
Connect with us on Facebook and WhatsApp for the latest updates!