बिलासपुर जिले के घुमारवीं उपमंडल के तहत आने वाले गांव दधोल कलां के बेटे ने अपनी मेहनत और लगन से पूरे क्षेत्र का नाम रोशन किया है। दधोल कलां निवासी डॉ. हिमांशु शर्मा का चयन भारतीय सेना में कैप्टन के पद पर हुआ है। उनकी पहली तैनाती मिलिट्री अस्पताल शिमला में हुई है। इस उपलब्धि के बाद उनके परिवार के साथ-साथ पूरे गांव और इलाके में खुशी का माहौल है।
डॉ. हिमांशु शर्मा की सफलता की कहानी पढ़ाई के दिनों से ही प्रेरणादायक रही है। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सरस्वती विद्या मंदिर दधोल से पूरी की। इसके बाद उन्होंने उच्च और वरिष्ठ माध्यमिक शिक्षा घुमारवीं के मिनर्वा पब्लिक स्कूल से हासिल की। चिकित्सा के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए हिमांशु रूस गए, जहां उन्होंने साइबेरियन स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी, तोमस्क से एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त की।
विदेश से पढ़ाई पूरी करने के बाद डॉ. हिमांशु शर्मा ने भारत लौटकर इंडियन मेडिकल काउंसिल की कठिन परीक्षा पास की। इसके बाद उन्होंने आईजीएमसी शिमला से एक वर्ष की इंटर्नशिप सफलतापूर्वक पूरी की। देश सेवा का जज्बा मन में लिए उन्होंने आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल सर्विसेज की परीक्षा दी, जिसमें उन्हें सफलता मिली। इसी आधार पर अब उनका चयन भारतीय सेना में बतौर डॉक्टर कैप्टन हुआ है।
डॉ. हिमांशु शर्मा एक शिक्षित और प्रतिष्ठित परिवार से संबंध रखते हैं। उनके पिता डॉ. किशोरी लाल शर्मा शिक्षा विभाग से प्रवक्ता पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं, जबकि उनकी माता सुरेखा शर्मा वर्तमान में सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल डंगार में अध्यापिका के पद पर कार्यरत हैं। बेटे की इस उपलब्धि पर माता-पिता ने गर्व जताया है।
डॉ. हिमांशु शर्मा की इस सफलता से घुमारवीं क्षेत्र के युवाओं में खासा उत्साह देखा जा रहा है। उनकी कहानी यह संदेश देती है कि कड़ी मेहनत, सही दिशा और मजबूत इरादों के साथ किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।
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