पांवटा साहिब उपमंडल के हरिपुर टोहाना क्षेत्र में गुड़ और शक्कर बनाने वाले गन्ना क्रशर प्रदूषण नियंत्रण नियमों की खुलेआम अनदेखी करते पाए गए हैं। यहां क्रशरों में गन्ने की वेस्टेज के साथ भारी मात्रा में प्लास्टिक कचरा जलाया जा रहा था, जिससे जहरीला धुआं निकल रहा था। इस धुएं से आसपास रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा पैदा हो सकता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह अवैध गतिविधि पिछले कई दिनों से लगातार जारी थी।
जानकारी के अनुसार गुड़ पकाने के लिए इस्तेमाल की जा रही भट्टियों में गन्ने की वेस्टेज के साथ दवा कंपनियों से जुड़ा वेस्ट प्लास्टिक बड़ी मात्रा में जलाया जा रहा था। जैसे ही इस मामले की सूचना मिली, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिशासी अभियंता अतुल परमार के नेतृत्व में टीम ने मौके पर दबिश दी।
निरीक्षण के दौरान टीम को बड़ी मात्रा में प्लास्टिक कचरा मिला, जिसे तुरंत हटवाया गया। साथ ही गन्ना क्रशर संचालकों को सख्त चेतावनी दी गई कि भविष्य में ऐसी गतिविधि दोहराई गई तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस पूरे मामले ने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, जिनमें सबसे अहम यह है कि दवा कंपनियों का वेस्ट प्लास्टिक इतनी बड़ी मात्रा में गन्ना क्रशरों तक आखिर कैसे पहुंचा।
इसके अलावा प्लास्टिक जलाकर तैयार किए जा रहे गुड़ की गुणवत्ता और खाद्य सुरक्षा को लेकर भी चिंता जताई जा रही है। स्थानीय लोगों ने मांग की है कि फूड सेफ्टी विभाग भी इस मामले की जांच करे और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिशासी अभियंता अतुल परमार ने बताया कि मीडिया के माध्यम से शिकायत मिलने के बाद टीम ने मौके पर जांच की। उन्होंने कहा कि निरीक्षण के समय भट्ठी बंद थी, लेकिन वहां पांवटा साहिब की दवा कंपनियों से संबंधित वेस्ट प्लास्टिक सामग्री पाई गई। इस कचरे को संबंधित कंपनियों को बुलाकर हटवाया गया है और उन्हें नोटिस जारी कर यह स्पष्ट करने को कहा गया है कि यह वेस्ट जलाने के लिए भट्टियों तक कैसे पहुंचा। संतोषजनक जवाब न मिलने पर नियमानुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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