Mandi: दो साल में 32 हजार से ज्यादा राजस्व मामले निपटाए, मंडी में बदली अदालतों की तस्वीर

हिमाचल प्रदेश सरकार की पहल से मंडी जिले में राजस्व मामलों के निपटारे की रफ्तार तेज हो गई है। राजस्व अदालतों के नियमित आयोजन से पिछले दो वर्षों में हजारों लंबित मामलों का समाधान हुआ है, जिससे आम लोगों को बड़ी राहत मिली है। अक्टूबर 2023 से अक्टूबर 2025 के बीच मंडी जिले में कुल 24 राजस्व अदालतों का आयोजन किया गया, जिनमें इंतकाल, तकसीम, निशानदेही और राजस्व दुरुस्ती जैसे मामलों का तेजी से निपटारा किया गया। इस पहल से न केवल प्रशासनिक कामकाज तेज हुआ है, बल्कि लोगों का भरोसा भी मजबूत हुआ है।

प्रदेशभर में राजस्व अदालतों की शुरुआत अक्टूबर 2023 में की गई थी। शुरुआती दौर में इन अदालतों में केवल इंतकाल से जुड़े मामलों की सुनवाई की जा रही थी। बाद में व्यवस्था को और प्रभावी बनाते हुए दिसंबर 2023 में तकसीम और फरवरी 2024 में राजस्व दुरुस्ती व निशानदेही के मामलों को भी इसमें शामिल कर लिया गया। मंडी जिले में अब तक इन अदालतों के माध्यम से इंतकाल के 30,641 मामले, तकसीम के 970, निशानदेही के 663 और राजस्व दुरुस्ती के 413 मामलों का निपटारा किया जा चुका है। इससे वर्षों से लंबित मामलों की संख्या में बड़ी कमी आई है और लोगों को स्थानीय स्तर पर ही समाधान मिलने लगा है।

सरकाघाट के गांव खरोट निवासी शिव कुमार ने राजस्व लोक अदालत जैसी योजना के लिए सरकार का आभार जताया है। उन्होंने बताया कि पहले इंतकाल करवाने के लिए 40 से 50 किलोमीटर तक का सफर करना पड़ता था, लेकिन अब यह काम घर-द्वार पर ही हो रहा है। उन्होंने बताया कि सरकाघाट में खरीदी गई जमीन की तकसीम 2010 से लंबित थी, जो करीब 15 वर्षों बाद अब राजस्व लोक अदालत के माध्यम से पूरी हो पाई है।

इसी तरह गांव टटीह सरकाघाट निवासी रणजीत सिंह ने बताया कि उनकी और उनके भाई की तकसीम का मामला भी अब आसानी से निपट गया है। पहले तहसील कार्यालयों के कई चक्कर लगाने पड़ते थे और समय भी काफी बर्बाद होता था, फिर भी काम नहीं होता था। अब राजस्व लोक अदालतों के जरिए मौके पर ही मामलों का समाधान हो रहा है, जिससे लोगों को बड़ी सुविधा मिली है।

राजस्व अदालतों की इस लगातार पहल ने मंडी जिले को उन अग्रणी जिलों में शामिल कर दिया है, जहां राजस्व मामलों का निपटारा तय समय में और प्रभावी ढंग से किया जा रहा है। लोगों में बनी सकारात्मक सोच यह दर्शाती है कि ये अदालतें जनहित में कारगर साबित हो रही हैं और न्याय आम आदमी के और करीब पहुंचा है।

उपायुक्त मंडी अपूर्व देवगन ने कहा कि राजस्व अदालतों के नियमित आयोजन से लोगों को वास्तविक राहत मिली है और यह सरकार की संवेदनशीलता और जनकल्याण के प्रति प्रतिबद्धता का साफ संकेत है। उन्होंने कहा कि प्रशासन का लक्ष्य है कि छोटी-छोटी राजस्व प्रक्रियाओं के लिए किसी भी नागरिक को अनावश्यक इंतजार न करना पड़े। राजस्व अदालतों ने गांव और तहसील स्तर पर सरल, पारदर्शी और सुलभ व्यवस्था उपलब्ध करवाई है, जिससे जनभागीदारी और विश्वास दोनों मजबूत हुए हैं।

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