अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा 2025: आपदा से उत्सव की ओर – उम्मीद की ज्योति
कुल्लू का अंतरराष्ट्रीय दशहरा पर्व न केवल हिमाचल प्रदेश बल्कि पूरे भारत और विश्व स्तर पर एक पहचान रखता है। यह पर्व देव संस्कृति, लोक आस्था और आपसी भाईचारे का अद्वितीय संगम है। हर साल ढालपुर मैदान में आयोजित होने वाला यह उत्सव इस बार और भी विशेष है क्योंकि यह आपदा के बाद उम्मीद और एकता का संदेश देने वाला है।
28 सितंबर 2025 को कुल्लू के विधायक एवं अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव समिति के अध्यक्ष सुंदर सिंह ठाकुर ने दिल्ली में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को औपचारिक रूप से निमंत्रण दिया। मुख्यमंत्री ने इसे स्वीकार करते हुए आश्वासन दिया कि राज्य सरकार उत्सव को भव्य, सुव्यवस्थित और सुरक्षित बनाने के लिए हर संभव सहयोग करेगी।
कुल्लू दशहरा का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व
कुल्लू दशहरा की शुरुआत 17वीं शताब्दी में मानी जाती है जब राजा जगत सिंह ने भगवान रघुनाथ की प्रतिमा को कुल्लू लाकर इसे अपनी आराधना का केंद्र बनाया। इसके बाद से यह परंपरा हर साल चली आ रही है।
• यह उत्सव दशहरा (रावण दहन) के एक दिन बाद से शुरू होता है और पूरा सप्ताह चलता है।
• कुल्लू दशहरा की खास बात यह है कि यहाँ रावण दहन नहीं किया जाता, बल्कि देवताओं की शोभायात्रा और लोक आस्था का प्रदर्शन होता है।
• इस पर्व में सैकड़ों देवी-देवता अपने पालकियों के साथ शामिल होते हैं, जो देव संस्कृति का अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है।
कुल्लू दशहरा न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि यह सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण से भी बेहद खास है।
2025 का थीम: “आपदा से उत्सव की ओर – उम्मीद की ज्योति”
इस वर्ष का कुल्लू दशहरा इसलिए भी विशेष है क्योंकि हाल ही में मानसून के दौरान हिमाचल प्रदेश, खासकर जिला कुल्लू, ने भारी प्राकृतिक आपदाओं का सामना किया। बाढ़ और भूस्खलन से जीवन अस्त-व्यस्त हो गया था।
मुख्यमंत्री के नेतृत्व में राहत और पुनर्वास कार्य युद्धस्तर पर चलाए गए, जिससे जनजीवन धीरे-धीरे पटरी पर लौटा। इस पृष्ठभूमि में इस साल का दशहरा आपदा से उत्सव की ओर बढ़ते कदम का प्रतीक है।
• इस उत्सव का उद्देश्य है लोगों में आशा और सकारात्मक ऊर्जा भरना।
• यह पर्व आपदा प्रभावित परिवारों को समर्पित है, ताकि वे एक बार फिर जीवन की मुख्य धारा से जुड़ सकें।
• “उम्मीद की ज्योति” थीम के साथ यह उत्सव पूरे प्रदेश और देश को नया संदेश देगा।
आयोजन की तिथि और स्थान
• तिथि: 2 अक्टूबर से 8 अक्टूबर 2025
• स्थान: ढालपुर मैदान, कुल्लू
ढालपुर मैदान को इस भव्य आयोजन के लिए सजाया-संवारा जा रहा है। हर साल की तरह इस बार भी यहाँ भारी संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक जुटेंगे।
उत्सव के मुख्य आकर्षण
कुल्लू दशहरा 2025 के दौरान कई तरह की गतिविधियाँ होंगी, जो इसे हर किसी के लिए खास अनुभव बनाएंगी।
1. देवी-देवताओं की शोभायात्राएँ
सैकड़ों देवी-देवता पालकियों सहित ढालपुर मैदान में पहुँचेंगे।
यह दृश्य श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए सबसे बड़ा आकर्षण होता है।
2. सांस्कृतिक संध्याएँ
स्थानीय कलाकारों के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर के कलाकार भी प्रस्तुति देंगे।
लोक नृत्य, हिमाचली संगीत और नाट्य मंचन दर्शकों को मंत्रमुग्ध करेंगे।
3. व्यावसायिक मेले और प्रदर्शनी
स्थानीय उत्पाद, हस्तशिल्प और कृषि वस्तुएँ प्रदर्शित होंगी।
यह स्थानीय कारीगरों और व्यापारियों को आय का बड़ा अवसर प्रदान करेगा।
4. पारंपरिक रस्में और देव समाज की झलक
देव समाज की परंपरागत रस्में इस उत्सव को आध्यात्मिक गहराई प्रदान करती हैं।
यहाँ हर कोई हिमाचल की देव संस्कृति की अनूठी झलक देख सकता है।
पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्थाएँअंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा में हर साल देश-विदेश से हजारों पर्यटक आते हैं। इस बार भी बड़ी संख्या में भीड़ की संभावना है।
उत्सव समिति ने इसके लिए विशेष प्रबंध किए हैं:
• यातायात प्रबंधन: भीड़ को नियंत्रित करने और सड़क जाम से बचने के लिए ट्रैफिक प्लान तैयार किया गया है।
• सुरक्षा व्यवस्था: पुलिस और प्रशासन की ओर से सुरक्षा के कड़े इंतजाम रहेंगे।
• पेयजल और स्वच्छता: मैदान और आसपास के क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल व शौचालय की सुविधा होगी।
• स्वास्थ्य सुविधाएँ: आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एम्बुलेंस और मेडिकल टीमें तैनात रहेंगी।
पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
कुल्लू दशहरा न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है।
इस दौरान हजारों पर्यटक कुल्लू-मनाली क्षेत्र की यात्रा करते हैं।
इससे होटल व्यवसाय, स्थानीय दुकानें, परिवहन और हस्तशिल्प उद्योग को सीधा लाभ मिलता है।
यह उत्सव हिमाचल पर्यटन की अंतरराष्ट्रीय पहचान को भी और मजबूत करता है।
संदेश: भाईचारे और समृद्धि की ओर
अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा केवल एक पर्व नहीं, बल्कि यह शांति, भाईचारे और समृद्धि का संदेश भी देता है। देव संस्कृति और लोक परंपराओं से जुड़ा यह आयोजन पूरे हिमाचल को एक सूत्र में पिरोता है।
विधायक सुंदर सिंह ठाकुर ने साफ कहा कि यह उत्सव आपदा से जूझ रहे लोगों के लिए उम्मीद का दीपक बनेगा और समाज को आगे बढ़ने की प्रेरणा देगा।
निष्कर्ष
अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा 2025 हर किसी के लिए एक अनूठा अनुभव होगा। यह उत्सव धार्मिक आस्था, सांस्कृतिक विरासत और सामाजिक एकजुटता का जीवंत उदाहरण है। “आपदा से उत्सव की ओर” थीम इस बार इसे और भी खास बना रही है।
कुल्लू दशहरा का संदेश साफ है – मुश्किलें चाहे कितनी भी हों, उम्मीद की ज्योति बुझनी नहीं चाहिए।
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