Shimla: शिमला में कहर बनी बारिश, लिंडीधार गांव में दोबारा ढहा फोरलेन डंगा, सात घर खतरे में

शिमला में लगातार हो रही बारिश ने तबाही का रूप ले लिया है। राजधानी के ढली क्षेत्र से लगे लिंडीधार गांव में वीरवार को फोरलेन सड़क का डंगा एक बार फिर ढह गया, जिससे वहां खड़े लोगों को भाग कर जान बचानी पड़ी। इलाके में बीते कई दिनों से लगातार भूस्खलन हो रहा है, जिससे आसपास के गांवों के मकानों पर खतरा मंडराने लगा है। गुरुवार दोपहर को हुए ताजे भूस्खलन ने लोगों की चिंता और बढ़ा दी है। स्थानीय निवासी अब डर के साए में जीने को मजबूर हो गए हैं। हालात इतने खराब हैं कि बारिश शुरू होते ही लोग अपने घरों से बाहर निकल जाते हैं। लिंडीधार गांव में सात मकान खतरे की जद में आ चुके हैं, जिन्हें खाली भी कर दिया गया है।

लिंडीधार के अलावा चमियाणा, चलौंठी, भट्टाकुफर, माठू कॉलोनी और ढली फोरलेन से सटे अन्य इलाकों के लोग भी इन दिनों बेहद दहशत में हैं। मूसलाधार बारिश ने शहर का ड्रेनेज सिस्टम पूरी तरह से फेल कर दिया है। पानी की निकासी रुक जाने से जगह-जगह जलभराव हो गया है। कई दुकानों में पानी घुस गया है और नालियां बंद हो चुकी हैं। छोटा शिमला क्षेत्र की सड़क पर गहरी दरारें आ गई हैं और सड़क बीच से धंसने लगी है, जिससे यातायात और अधिक प्रभावित हो गया है।

शहर के कैथू इलाके में एम्बुलेंस रोड का निर्माण कार्य किया गया था, लेकिन वहां भी वीरवार को भूस्खलन हो गया है। इस वजह से सड़क के ऊपर और नीचे बने करीब डेढ़ दर्जन मकानों पर खतरा मंडराने लगा है। फिलहाल क्षेत्र को तिरपाल से ढक दिया गया है, लेकिन स्थिति गंभीर बनी हुई है। स्थानीय पार्षद कांता सुयाल ने बताया कि अगर समय रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो इन मकानों को भी खाली कराना पड़ सकता है। बारिश के दौरान लोग खुद ही अपने घरों से बाहर निकल आते हैं, क्योंकि उन्हें अपनी जान का डर सता रहा है। इसके अलावा कई पेड़ भी गिरने की स्थिति में हैं, जो और अधिक खतरा बढ़ा सकते हैं।

गंभीर स्थिति के बीच सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब शहर संकट में है, तब प्रशासन का कोई भी अधिकारी फील्ड में क्यों नहीं है। मेयर सुरेंद्र चौहान इस समय दिल्ली में आयोजित कार्यशाला में भाग ले रहे हैं, जबकि डिप्टी मेयर अवकाश पर हैं। नगर निगम के कुछ अधिकारी विदेश दौरे पर गए हैं, जिससे लोगों की मदद के लिए कोई भी मौके पर मौजूद नहीं है। हालांकि नगर निगम आयुक्त भूपेंद्र अत्री, जो पहले मेडिकल लीव पर थे, वीरवार को कार्यालय लौट आए हैं और उन्होंने कुछ फाइलें निपटाईं। लेकिन फील्ड में प्रशासन की पूरी तरह से अनुपस्थिति ने लोगों को आत्मनिर्भर बनने को मजबूर कर दिया है।

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