ज़िंदगी में कई बार ऐसे मोड़ आते हैं जब एक आम परिवार पर संकट का पहाड़ टूट पड़ता है और सब कुछ ठहर सा जाता है। जिला ऊना के ठठल गांव की शकुंतला देवी के जीवन में ऐसा ही एक दुखद क्षण तब आया, जब उनके पति रमन कुमार की सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई। रमन कुमार परिवार के इकलौते कमाने वाले सदस्य थे, और उनके निधन से पूरा घर गहरे शोक और आर्थिक संकट में डूब गया। पति के चले जाने के बाद शकुंतला देवी मानसिक रूप से पूरी तरह टूट चुकी थीं और भविष्य को लेकर बेहद चिंतित थीं।

इस मुश्किल समय में हिमाचल प्रदेश भवन एवं अन्य निर्माण कामगार कल्याण बोर्ड ने शकुंतला देवी और उनके परिवार को राहत पहुंचाई। रमन कुमार एक निर्माण इकाई से जुड़े हुए थे और बोर्ड में पंजीकृत थे। उनके निधन के बाद कल्याण बोर्ड ने शकुंतला देवी को 4.20 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी। यह सहायता परिवार के लिए केवल एक राहत राशि नहीं, बल्कि तीन बच्चों – दो बेटे और एक बेटी – की शिक्षा और पारिवारिक जिम्मेदारियों को संभालने का माध्यम बनी।
शकुंतला देवी ने भावुक होकर बताया कि पति की अचानक मौत के बाद वह पूरी तरह से हताश थीं और उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि आगे जीवन कैसे चलेगा। लेकिन कामगार कल्याण बोर्ड से मिली सहायता ने उन्हें एक नई दिशा दी और यह एहसास कराया कि सरकार ज़रूरतमंदों के साथ खड़ी है। उन्होंने मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू और कामगार कल्याण बोर्ड का आभार प्रकट किया और कहा कि यह सहायता उनके लिए बहुत बड़ा सहारा बनी।
हिमाचल प्रदेश भवन एवं अन्य निर्माण कामगार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष नरदेव सिंह कंवर ने कहा कि प्रदेश सरकार का उद्देश्य यही है कि कोई भी श्रमिक अपनी पारिवारिक या सामाजिक ज़रूरतों के लिए खुद को अकेला न समझे। मुख्यमंत्री सुक्खू के मार्गदर्शन में बोर्ड पारदर्शी और सरल प्रक्रिया के तहत कामगारों को योजनाओं का लाभ पहुंचा रहा है, और राज्य के सभी जिलों में इन योजनाओं के क्रियान्वयन की लगातार निगरानी की जा रही है।
इस संदर्भ में जिला श्रमिक कल्याण अधिकारी अमन शर्मा ने बताया कि हिमाचल प्रदेश भवन एवं अन्य निर्माण कामगार कल्याण बोर्ड के माध्यम से श्रमिकों को शिक्षा, स्वास्थ्य, विवाह, पेंशन और आवास जैसी ज़रूरतों के लिए आर्थिक सहायता दी जाती है। ऊना जिले में सैकड़ों पंजीकृत श्रमिक अब तक इन योजनाओं से लाभान्वित हो चुके हैं। अधिकारी ने बताया कि सभी लाभार्थियों को योजनाओं का लाभ पारदर्शी और सरल प्रक्रिया के तहत सुनिश्चित किया जा रहा है।
बोर्ड द्वारा दी जा रही योजनाओं में प्रमुख रूप से विवाह सहायता योजना के अंतर्गत लाभार्थी को स्वयं और दो बच्चों के विवाह हेतु ₹51,000, मातृत्व और पितृत्व सुविधा के अंतर्गत महिला को ₹25,000, पंजीकृत महिला कर्मकार को दो प्रसवों तक ₹6,000, पुरुष लाभार्थी को पितृत्व सुविधा के अंतर्गत ₹1,000 और मातृत्व अवकाश के लिए ₹6,000 तक की राशि दी जाती है।
इसके अतिरिक्त चिकित्सा सहायता के अंतर्गत लाभार्थी और उसके आश्रितों को ₹50,000 से ₹5 लाख तक की सहायता, शिक्षा के लिए कक्षा पहली से लेकर पीएचडी तक ₹8,400 से ₹1.20 लाख तक की राशि, 60 वर्ष की आयु पूरी करने पर ₹1,000 मासिक पेंशन, विकलांगता की स्थिति में ₹500 की पेंशन, मृत्यु पर ₹2 से ₹4 लाख तक की आर्थिक सहायता और अंतिम संस्कार के लिए ₹20,000 की राशि दी जाती है।
बेटी जन्म उपहार योजना के अंतर्गत ₹51,000, मानसिक रूप से मंद बच्चों की देखभाल के लिए ₹20,000 प्रतिवर्ष, विधवा पेंशन के तहत ₹1,500 प्रतिमाह, होस्टल सुविधा योजना के अंतर्गत ₹20,000 प्रतिवर्ष और मुख्यमंत्री आवास योजना के अंतर्गत ₹1.50 लाख तक की सहायता दी जाती है।
शकुंतला देवी की यह कहानी केवल एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि उन सैकड़ों श्रमिक परिवारों की है जो सरकार की सहायता से जीवन के संकटों से बाहर निकलकर फिर से आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। हिमाचल प्रदेश का श्रमिक कल्याण बोर्ड आज सच्चे मायनों में ज़रूरतमंदों के लिए राहत और सहारा बनकर कार्य कर रहा है।
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