बिलासपुर जिले के जबली स्थित जिला मुक्त कारागार में रविवार को एक अप्रत्याशित स्थिति उत्पन्न हो गई, जब करीब 70 बंदियों ने भूख हड़ताल शुरू कर दी। बंदियों का आरोप है कि जेल प्रशासन बार-बार तलाशी अभियान के नाम पर उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर यह प्रक्रिया नहीं रोकी गई तो वे सामूहिक रूप से भोजन का बहिष्कार करेंगे और इसके परिणामों के लिए पूरी तरह से जेल प्रशासन जिम्मेदार होगा। जानकारी के अनुसार, इस समय जेल में लगभग 160 बंदी व कैदी मौजूद हैं। हर कुछ समय के अंतराल पर जेल प्रशासन द्वारा तलाशी अभियान चलाया जाता है ताकि किसी भी प्रकार की अवांछित वस्तु जेल के भीतर न पहुंचे। रविवार को जब एक बार फिर तलाशी शुरू की गई, तो कुछ बंदियों ने इसका विरोध करते हुए भोजन करने से मना कर दिया। उनका कहना था कि वे भी इंसान हैं और बार-बार तलाशी की प्रक्रिया से उन्हें अपमानित महसूस होता है।
यह विवाद सुबह से शुरू हुआ और दोपहर तक चला, लेकिन बाद में जेल प्रशासन ने सूझबूझ से काम लेते हुए स्थिति को नियंत्रण में ले लिया। जेल के अंदर पहले भी कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जिनसे जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ चुके हैं। कुछ महीनों पहले सीसीटीवी फुटेज में यह देखा गया था कि जेल की दीवार के अंदर बीड़ी, सिगरेट, तंबाकू जैसी नशीली वस्तुएं फेंकी गई थीं, लेकिन अंधेरे के कारण दोषियों की पहचान नहीं हो सकी थी। इसके अलावा करीब दो सप्ताह पहले एक बंदी सौरभ पटियाल उर्फ फांदी और उसके साथियों ने एक अन्य कैदी के साथ मारपीट की थी, जिस मामले की शिकायत सदर थाना में दर्ज की गई थी। इस घटना के बाद जेल प्रशासन ने पुलिस विभाग से जबली क्षेत्र और जेल परिसर के आसपास गश्त बढ़ाने की मांग की थी।
जेल उपाधीक्षक भूपिंदर सिंह ने इस मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि कुछ कैदियों ने तलाशी अभियान को लेकर आपत्ति जताई थी, लेकिन बातचीत से मामला सुलझा लिया गया। उन्होंने स्पष्ट किया कि जेल में सुरक्षा और नियमों के पालन को लेकर किसी भी प्रकार की ढील नहीं दी जाएगी।
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