हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले के निरमंड उपमंडल में स्थित जगतखाना क्षेत्र में बीती शाम अचानक बादल फटने से आई बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है। यह प्राकृतिक आपदा तीन अलग-अलग स्थानों पर बाढ़ जैसी स्थिति लेकर आई, जिससे क्षेत्र के जनजीवन पर गहरा असर पड़ा। रिपोर्ट्स के अनुसार, कम से कम 24 से 26 वाहन बाढ़ की चपेट में आकर क्षतिग्रस्त हो गए हैं, जिनमें से कुछ को सतलुज नदी की ओर बहते हुए देखा गया। बाढ़ के कारण संपर्क मार्गों को भारी नुक़सान पहुँचा है, जिससे जगतखाना, चाटी और तुनन को जोड़ने वाली सड़कों पर आवाजाही पूरी तरह ठप हो गई है।

इस भयावह घटना के बाद स्थानीय लोगों को अपने घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर रात गुजारनी पड़ी। कई लोगों ने बताया कि उन्होंने पूरी रात जागकर बिताई, क्योंकि बाढ़ का दृश्य अत्यंत डरावना था। जगतखाना निवासी और दुकान संचालक नारायण पाल ने बताया कि जैसे ही उन्हें बाढ़ की जानकारी मिली, वे अपनी गाड़ी बचाने के लिए दौड़े, लेकिन वह पहले ही पानी में बह चुकी थी। एक अन्य स्थानीय निवासी चांदनी ने बताया कि जब बाढ़ आई, तो वह पास के मकान में थीं और बच्चों को लेकर तुरंत सुरक्षित स्थान की ओर भाग गईं। उन्होंने कहा कि बाढ़ के कारण पूरा क्षेत्र भय के माहौल में है और कोई भी चैन की नींद नहीं सो पाया।

वहीं आनी विधानसभा क्षेत्र के विधायक लोकेंद्र कुमार ने सरकारी तंत्र की धीमी प्रतिक्रिया पर चिंता जताई है। उन्होंने बताया कि घटना के 15 घंटे बीत जाने के बावजूद अभी तक क्षतिग्रस्त मार्गों को बहाल करने का काम शुरू नहीं किया गया है और दलदल में फंसे वाहनों को भी नहीं निकाला गया है। उन्होंने यह भी बताया कि बाढ़ के समय लगभग शाम 6:15 बजे तेज आंधी और ओलावृष्टि भी हुई, जिससे नकदी फसलों को भी नुकसान पहुंचा। विधायक के अनुसार, जगतखाना क्षेत्र में 24 से 25 गाड़ियां क्षतिग्रस्त हुई हैं और कई घरों में पानी भी घुस गया है।

जगतखाना पंचायत के प्रधान सतीश कुमार ने बताया कि प्रारंभिक सर्वेक्षण के अनुसार लगभग 26 वाहनों को नुकसान पहुंचा है, जिनमें से 15 पूरी तरह से नष्ट हो गए हैं और कुछ अभी तक लापता हैं। इस आपदा के चलते क्षेत्र की सड़कों और नागरिक जीवन को गंभीर क्षति पहुंची है।
पूर्व पंचायत प्रधान देविका ने लोक निर्माण विभाग (PWD) पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि सड़कों पर बने कलवर्ट और जल निकासी व्यवस्था की हालत बेहद खराब थी। पानी की निकासी न होने की वजह से कलवर्ट बंद हो गए, जिससे बाढ़ का पानी घरों में घुस गया और कई वाहन बह गए। उन्होंने सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द सड़क मरम्मत का कार्य शुरू किया जाए ताकि स्थिति सामान्य हो सके।
यह घटना मानसून शुरू होने से पहले ही आपदा प्रबंधन प्रणाली की तैयारियों पर सवाल खड़े करती है। क्षेत्र के लोग अब भी दहशत में हैं और जल्द राहत एवं पुनर्वास कार्यों की मांग कर रहे हैं।
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