
हिमाचल प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा किए गए सीजफायर पर ट्वीट को लेकर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को संसद का सत्र बुलाना चाहिए ताकि देश के सामने पूरी पारदर्शिता से चर्चा हो सके। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में ट्रंप के इस ट्वीट पर स्पष्टता से बात नहीं की, जबकि यह विषय राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है। विक्रमादित्य ने यह भी कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री की आंतरिक सुरक्षा पर की गई बातों का समर्थन किया है, लेकिन इस अंतरराष्ट्रीय बयान को लेकर स्थिति साफ की जानी चाहिए।
उन्होंने बताया कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर जो कार्रवाई की, उसे देशभर से समर्थन मिला है। उन्होंने इसे एक राजनीतिक मुद्दा न मानते हुए कहा कि यह देश की एकता और अखंडता से जुड़ा मसला है, जिसमें 140 करोड़ भारतीय और हिमाचल प्रदेश के 70 लाख लोग एकजुट हैं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि पूरे देश को इस समय प्रधानमंत्री और सेना के साथ मजबूती से खड़े होने की जरूरत है, और सेना की इस कार्रवाई पर सभी को गर्व है।
इसके अलावा, विक्रमादित्य सिंह ने तुर्की से सेब के आयात को लेकर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि तुर्की से सेब पर कम आयात शुल्क का सीधा असर हिमाचल के बागवानों पर पड़ता है। इस समय तुर्की ने पाकिस्तान को ड्रोन और तकनीकी सहायता दी है और वह तनाव के समय में पाकिस्तान के साथ खड़ा दिखा है। ऐसे में भारत को तुर्की से सेब आयात पर रोक लगानी चाहिए या आयात शुल्क बढ़ाना चाहिए ताकि देश के किसानों और बागवानों को नुकसान न हो। उन्होंने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू इस मुद्दे को केंद्र सरकार के समक्ष उठाएंगे।
इसके साथ ही उन्होंने पाकिस्तान को हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा स्वीकृत 2.5 बिलियन डॉलर के कर्ज पर भी चिंता व्यक्त की। उनका कहना था कि यह कर्ज ऐसे समय में दिया गया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चल रहा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत के राजनयिकों और केंद्र सरकार ने इस मुद्दे को अमेरिका और अन्य देशों के सामने उठाया होगा। उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में पाकिस्तान को मिलने वाली फंडिंग को रोकने के लिए एक दीर्घकालिक नीति बनानी होगी।
विक्रमादित्य सिंह के अनुसार, इन सभी मुद्दों पर संसद में चर्चा होना जरूरी है ताकि हर पक्ष अपने विचार रख सके और एक ठोस नीति बनाई जा सके। विपक्षी दलों ने संकट की इस घड़ी में सरकार के साथ एकजुटता दिखाई है और अब समय है कि यह एकता संसद के पटल पर भी नजर आए।
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