ऊना, हिमाचल प्रदेश (सुरेन्द्र): ऊना में एक बार फिर रेलवे ट्रैक पर दर्दनाक हादसा हुआ है, जिसमें एक 63 वर्षीय व्यक्ति की जान चली गई। मृतक की पहचान जोगिन्द्र सिंह के रूप में हुई है, जो कि रायपुर सहोड़ां के निवासी थे। जानकारी के अनुसार, जोगिन्द्र सिंह घास लेने के लिए रेलवे लाइन क्रॉस कर रहे थे, तभी अम्बाला से ऊना के बीच चलने वाली पैसेंजर ट्रेन संख्या 04593 की चपेट में आ गए। यह घटना रायपुर के नजदीक हुई, जहां ट्रेन कर्मियों ने तुरंत हादसे की जानकारी पुलिस को दी। इसके बाद पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को कब्जे में लिया और पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। मृतक रायपुर के वार्ड नंबर-8 का रहने वाला था।
लगातार बढ़ रही हैं रेलवे ट्रैक पर मौतें
ऊना जिले में नंगल से दौलतपुर चौक के बीच बना यह रेल ट्रैक अब “मौत का ट्रैक” बनता जा रहा है। पिछले छह महीनों में इस ट्रैक पर 9 लोगों की जान जा चुकी है। रेलवे पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, इन मौतों में से अधिकतर लोग ऐसे थे जो घास इकट्ठा करने के लिए रेलवे ट्रैक पार कर रहे थे। इनमें से कुछ लोग रेलवे पुल के पास से गुजरते समय ट्रेन की चपेट में आए, तो कुछ मामलों में कान में ईयरफोन लगाए होने के कारण लोग ट्रैक पर ट्रेन की आवाज नहीं सुन पाए और हादसे का शिकार हो गए।
रेलवे के नियमों के अनुसार, किसी भी रेलवे ट्रैक पर पैदल चलना या उसे क्रॉस करना प्रतिबंधित है। इसके बावजूद, ग्रामीण इलाकों में लोग सुरक्षा को नजरअंदाज करते हुए ट्रैक पार करते हैं, जो कि उनके लिए जानलेवा साबित हो रहा है। ऊना जिले में रेलवे ट्रैक से जुड़ी दुर्घटनाओं का लगातार बढ़ता आंकड़ा एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है, जिसमें स्थानीय प्रशासन और रेलवे विभाग के लिए चुनौतीपूर्ण स्थिति खड़ी हो गई है।
स्थानीय निवासियों की समस्याएं और जोखिम
रायपुर सहोड़ां जैसे ग्रामीण इलाकों में जहां रेलवे ट्रैक के आसपास खेती और चराई के काम होते हैं, वहां के निवासियों के लिए ट्रैक को पार करना आम बात है। अधिकांश ग्रामीण ट्रैक के दोनों ओर फैली जमीन पर घास काटने या पशुओं के लिए चारा लेने जाते हैं। लेकिन बढ़ती रेल यातायात के साथ यह काम अब जोखिम भरा हो गया है। इस रेल ट्रैक पर करीब 13 से अधिक ट्रेनें प्रतिदिन अप-डाउन की स्थिति में गुजरती हैं, जिससे दुर्घटना का खतरा बना रहता है।
ग्रामीण इलाकों में सड़क सुविधाओं की कमी के कारण लोग रेलवे ट्रैक को शॉर्टकट के रूप में इस्तेमाल करते हैं। ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां छोटे-छोटे बच्चों और बुजुर्गों ने जल्दबाजी में ट्रैक को पार करने की कोशिश की, और उनकी जान चली गई। स्थानीय लोग इस मुद्दे को लेकर चिंतित हैं, लेकिन उन्हें जागरूकता और सही जानकारी की कमी है, जिसके कारण वे सुरक्षा नियमों का पालन नहीं कर पाते।
रेलवे विभाग और स्थानीय प्रशासन की भूमिका
रेलवे ट्रैक पर हो रही इन लगातार मौतों ने रेलवे विभाग और स्थानीय प्रशासन को एक बार फिर से सुरक्षा मानकों की ओर ध्यान देने के लिए मजबूर कर दिया है। हालांकि रेलवे ट्रैक पार करना भारतीय रेलवे के नियमों के अनुसार अवैध है, फिर भी स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि वह ऐसे इलाकों में रेलवे ट्रैक के आसपास सुरक्षा चेतावनी बोर्ड लगाए और स्थानीय निवासियों को सुरक्षा नियमों के बारे में जागरूक करे। कई विशेषज्ञों का मानना है कि रेल ट्रैक के पास सुरक्षा दीवार या बैरिकेडिंग लगाकर भी इन हादसों को रोका जा सकता है।
इसके अलावा, रेलवे विभाग को नियमित अंतराल पर ट्रैक की निगरानी करने और स्पीड कंट्रोल करने की जरूरत है, विशेषकर ऐसे ग्रामीण क्षेत्रों में जहां लोग ट्रैक को पार करते हैं। रेलवे विभाग ने हाल ही में यह निर्णय लिया है कि जिन स्थानों पर लगातार दुर्घटनाएं हो रही हैं, वहां पर चेतावनी बोर्ड, सुरक्षात्मक उपकरण, और अन्य उपाय लागू किए जाएंगे ताकि लोगों को सतर्क किया जा सके।
समाज में जागरूकता की आवश्यकता
ऊना जिले में इस तरह की दुर्घटनाओं को रोकने के लिए जरूरी है कि स्थानीय लोग भी सतर्क रहें और रेलवे ट्रैक के नजदीक अनावश्यक रूप से न जाएं। समाज में जागरूकता फैलाना एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। स्थानीय एनजीओ, स्कूल और पंचायत स्तर पर जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन करके लोगों को यह समझाने की आवश्यकता है कि रेलवे ट्रैक के नजदीक जाना कितना खतरनाक हो सकता है।
कई मामलों में लोगों का कानों में ईयरफोन लगाकर ट्रैक पर जाना भी दुर्घटनाओं का कारण बना है। ऐसी स्थिति में, जरूरी है कि लोग ट्रैक पर जाने से पहले सावधानी बरतें और ईयरफोन का प्रयोग न करें। ऊना जैसे क्षेत्रों में यह देखने को मिला है कि लोग जल्दबाजी में या ध्यान न देने के कारण हादसे का शिकार हो जाते हैं।
ऊना में हादसे की खबर ने फिर उठाए सुरक्षा सवाल
ऊना में एक और व्यक्ति की ट्रेन हादसे में मौत ने फिर से स्थानीय लोगों और प्रशासन को सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े करने पर मजबूर कर दिया है। पिछले छह महीनों में हुई 9 मौतें इस बात का स्पष्ट प्रमाण हैं कि यहां के रेलवे ट्रैक पर सुरक्षा के और कड़े इंतजाम किए जाने की जरूरत है। ट्रैक पर हो रहे इन हादसों को रोकने के लिए स्थानीय प्रशासन और रेलवे विभाग के संयुक्त प्रयास से ही कोई स्थायी समाधान निकल सकता है।
इन हादसों को रोकने के लिए रेलवे विभाग और स्थानीय प्रशासन को मिलकर काम करना होगा। ट्रैक के पास बैरिकेडिंग, चेतावनी बोर्ड, और लोगों में जागरूकता फैलाने जैसे कदम उठाए जाने की आवश्यकता है ताकि आगे ऐसे हादसों से बचा जा सके। ऊना जैसे क्षेत्रों में जहां रेलवे ट्रैक के पास लोग कृषि कार्यों और चराई के लिए जाते हैं, वहां सुरक्षा इंतजामों का होना अत्यंत आवश्यक है।
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