Una: ऊना में नीली क्रांति का नया मॉडल; मुख्यमंत्री कार्प मत्स्य पालन योजना से बंजर भूमि बनी समृद्धि का केंद्र

ऊना जिले में नीली क्रांति का नया अध्याय लिखा जा रहा है, जहां मुख्यमंत्री कार्प मत्स्य पालन योजना ग्रामीण अर्थव्यवस्था को स्थिर आधार देने के साथ ब्लू इकोनॉमी का मजबूत मॉडल बनकर उभरी है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू द्वारा वर्ष 2024 में शुरू की गई इस योजना ने ऊना विशेष रूप से बंगाणा और श्री चिंतपूर्णी क्षेत्रों की परंपरागत रूप से बंजर और अनुपयोगी भूमि को उत्पादन और समृद्धि का केंद्र बना दिया है। मत्स्य पालन विभाग के अनुसार कार्प मछली पालन के लिए तालाब निर्माण पर इकाई लागत का 80 प्रतिशत अनुदान प्रदान किया जा रहा है, जिससे स्थानीय किसानों को आर्थिक गतिविधियों के विस्तार का अवसर मिला है।

ऊना के सहायक निदेशक मत्स्य पालन विवेक कुमार ने बताया कि इन क्षेत्रों की भूमि पथरीली होने के कारण खेती आसान नहीं थी और जंगली जानवरों की समस्या ने किसानों को और कठिनाइयों में डाल रखा था। मुख्यमंत्री कार्प मत्स्य पालन योजना ने ऐसे किसानों को एक प्रभावी विकल्प उपलब्ध कराया है। अब तक 2.8 हेक्टेयर भूमि को इस योजना के अंतर्गत लाया गया है तथा दस किसानों को लगभग अट्ठाईस लाख रुपये की सब्सिडी प्रदान की गई है। बंगाणा और चिंतपूर्णी क्षेत्र में 2.12 हेक्टेयर भूमि पर इक्कीस लाख रुपये से अधिक की सहायता स्वीकृत की गई है और अब तक दस तालाबों का निर्माण पूर्ण हो चुका है, जिनसे किसानों को स्थिर आय प्राप्त होने लगी है।

मत्स्य पालन विभाग के निदेशक विवेक चंदेल ने बताया कि मुख्यमंत्री की प्राथमिकता पहाड़ी क्षेत्रों में स्वरोजगार आधारित आर्थिक ढांचे को मजबूत करना है। इसी को ध्यान में रखते हुए तालाब निर्माण की उच्च लागत वाले क्षेत्रों में 80 प्रतिशत सब्सिडी विशेष रूप से प्रभावी साबित हो रही है। यह योजना केवल आय बढ़ाने तक सीमित नहीं है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। वर्षा आधारित तालाब भूजल पुनर्भरण संरचना के रूप में कार्य कर रहे हैं और इनसे स्थानीय जलस्तर में सुधार हो रहा है, जिससे ग्रामीण परिवेश अधिक संतुलित हो रहा है।

ऊना के उपायुक्त जतिन लाल ने कहा कि राज्य सरकार का लक्ष्य जनता के जीवन में ठोस और सकारात्मक बदलाव लाना है। मुख्यमंत्री सुक्खू ने स्वरोजगार आधारित अवसरों को गांव-गांव तक पहुंचाने पर विशेष बल दिया है और जिला प्रशासन यह सुनिश्चित कर रहा है कि पात्र किसानों को योजनाओं का पूरा लाभ मिले। इस योजना ने जिले में आय, रोजगार और संसाधन प्रबंधन के नए अवसर पैदा किए हैं और आर्थिक विकास के लिए नई दिशा प्रदान की है।

ऊना में लागू यह मॉडल अब पूरे प्रदेश के लिए प्रेरणादायक उदाहरण बनकर उभरा है, जिसने बंजर पहाड़ी भूमि को उत्पादक संसाधन में बदलकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को एक मजबूत, टिकाऊ और पर्यावरण अनुकूल आधार प्रदान किया है।

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