हिमाचल प्रदेश सरकार अब ऊना जिले में एंटी-चिट्टा अभियान को और तेज गति देने जा रही है। इस मुहिम को जनभागीदारी के साथ एक बड़े जन आंदोलन का रूप दिया जाएगा, ताकि युवाओं को नशे की गिरफ्त से प्रभावी ढंग से बाहर निकाला जा सके। यह जानकारी उपायुक्त ऊना जतिन लाल ने विधानसभा परिसर धर्मशाला से आयोजित राज्य स्तरीय एन-कॉर्ड बैठक के दौरान दी। बैठक की अध्यक्षता मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने की।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुए डीसी के साथ एसपी अमित यादव भी मौजूद रहे। मुख्यमंत्री ने कहा कि नशाखोरी पर रोक सिर्फ प्रशासनिक कार्रवाई से नहीं, बल्कि सामाजिक जागरूकता और सामुदायिक भागीदारी से ही संभव है।
हर पंचायत में नशा निवारण कमेटी, डीसी–एसपी करेंगे ग्राउंड विज़िट
उपायुक्त जतिन लाल ने बताया कि ऊना जिले की सभी 245 पंचायतों में नशा निवारण समितियाँ गठित की जा चुकी हैं। खास बात यह है कि डीसी और एसपी दोनों संवेदनशील पंचायतों में खुद जाकर स्थिति की समीक्षा करेंगे और अभियान की प्रगति का सीधा फीडबैक लेंगे।
एन-कॉर्ड के तहत हर महीने जिला स्तरीय समन्वय बैठक भी आयोजित की जाती है, ताकि नशे के खिलाफ कार्रवाई लगातार प्रभावी बनी रहे। पंचायत स्तर पर गठित ये समितियाँ नशे की स्थिति का आकलन करेंगी, संदिग्ध गतिविधियों की पहचान करेंगी और स्थानीय स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम चलाएँगी।
कौन होगा समिति में और क्या होंगी जिम्मेदारियाँ?
हर पंचायत में बनने वाली समिति के अध्यक्ष स्थानीय सरकारी स्कूल के प्रधानाचार्य होंगे, जबकि क्षेत्र के पुलिस हेड कांस्टेबल को सदस्य सचिव की जिम्मेदारी दी गई है। इसके अलावा समिति में पंचायत सचिव, महिला मंडल–युवक मंडल प्रतिनिधि, आशा वर्कर, सामाजिक कार्यकर्ता, वरिष्ठ नागरिक और ग्राम रोजगार सहायक भी शामिल होंगे। पंचायत प्रधान, जिला परिषद सदस्य और अन्य चुने हुए प्रतिनिधि एक्स-ऑफिशियो सदस्य रहेंगे।
समिति का मुख्य काम होगा:
• नशे से प्रभावित व्यक्तियों और गतिविधियों की पहचान
• पुलिस व प्रशासन को समय पर सूचना देना
• स्कूलों, समुदायों और सार्वजनिक स्थानों पर जागरूकता कार्यक्रम चलाना
• प्रभावित परिवारों की मदद के लिए योजनाएँ तैयार करना
• नशा उन्मूलन के लिए स्थानीय एक्शन प्लान बनाना
उपमंडल स्तर पर एसडीएम हर महीने इन समितियों की रिपोर्ट की समीक्षा करेंगे।
एसपी का बयान: चिट्टा मामलों में जीरो टॉलरेंस
एसपी अमित यादव ने कहा कि ऊना में चिट्टा से जुड़े मामलों पर जीरो टॉलरेंस नीति अपनाई गई है। उन्होंने बताया कि पुलिस सिर्फ गिरफ्तारी तक सीमित नहीं, बल्कि लोगों की भागीदारी बढ़ाने पर भी जोर दे रही है, जिससे अभियान और मजबूत हो सके।
सरकार और प्रशासन का यह संयुक्त प्रयास ऊना को नशामुक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
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