शिक्षा विभाग ने जिला शिमला के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला (जीएसएसएस) देइया में कार्यरत टीजीटी (आर्ट्स) शिक्षक को फर्जी अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर अनुसूचित जाति श्रेणी कोटे का लाभ अवैध रूप से प्राप्त करने पर टर्मिनेट कर दिया है। यह आदेश विभाग के निदेशक आशीष कोहली की ओर से जारी किए गए हैं। जानकारी के अनुसार, हिमाचल प्रदेश अनुसूचित जाति बेरोजगार संघ ने सचिव (शिक्षा) कार्यालय को शिकायत भेजी थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उक्त शिक्षक को 18 फरवरी 2009 को बैचवाइज प्रक्रिया के तहत अनुसूचित जाति (आईआरडीपी) के लिए आरक्षित पद के विरुद्ध क्रम संख्या 25 पर नियुक्त किया गया था, जबकि वह अनुसूचित जाति वर्ग से संबंधित नहीं है।
इस मामले में पुलिस स्टेशन नेरवा में एफआईआर दर्ज की गई, जिसमें आरोप है कि शिक्षक सामान्य जाति से होने के बावजूद वर्ष 2009 में टीजीटी (कला) के पद के लिए फर्जी अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर नियुक्ति प्राप्त की थी। विभागीय जांच में यह स्पष्ट हुआ कि नियुक्ति अनुबंध के आधार पर की गई थी। इसके अलावा, प्रथम नियुक्ति के समय मेडिकल फिटनेस प्रमाण-पत्र हेतु मेडिकल बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत होने के दौरान शिक्षक ने कॉलम संख्या 2 में अपनी श्रेणी अनुसूचित जाति लिखी थी।
विभाग द्वारा 20 जून 2017 को जारी टीजीटी की अंतिम वरिष्ठता सूची में भी इस शिक्षक का नाम क्रमांक 2027 पर अंकित किया गया और उन्हें एससी वर्ग में वरिष्ठता संख्या 16862 आबंटित की गई। यह स्पष्ट करता है कि शिक्षक ने फर्जी अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर कार्यालय आदेश दिनांक 28 फरवरी 2009 की शर्तों का उल्लंघन किया, जिसमें क्रम संख्या 14 में स्पष्ट उल्लेख है कि यदि कोई प्रमाण पत्र या सूचना गलत पाई जाती है तो सेवाएं समाप्त की जा सकती हैं।
मामला सामने आने के बाद 3 फरवरी 2025 को विभाग ने शिक्षक को नोटिस जारी कर एक सप्ताह के भीतर स्थिति स्पष्ट करने को कहा था कि उन्होंने गलत अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र किस आधार पर प्राप्त किया और एससी (आईआरडीपी) श्रेणी के लिए आरक्षित पद पर नियुक्ति कैसे ली। शिक्षक ने प्रिंसीपल, जीएसएसएस देइया को ईमेल के माध्यम से उत्तर प्रस्तुत करने के लिए चार सप्ताह का समय मांगा और बाद में जवाब दिया, लेकिन विभाग ने उसे असंतोषजनक और अस्वीकार्य पाया। रिकॉर्ड के अनुसार यह सिद्ध हो गया कि शिक्षक अनुसूचित जाति श्रेणी से संबंधित नहीं है और उन्होंने गलत प्रमाण पत्र के माध्यम से नौकरी प्राप्त की है। इस आधार पर अब शिक्षक की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं।
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