शाहपुर विधानसभा क्षेत्र के सबसे बड़े सिविल हॉस्पिटल की हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है। भाजपा नेता राकेश चौहान ने अस्पताल की बदहाल स्थिति पर सवाल उठाते हुए कहा कि मरीजों और उनके रिश्तेदारों को मामूली चीजों के लिए भी बाहर भटकना पड़ रहा है।
उन्होंने बताया कि अस्पताल में ECG मशीन तो पहले से ही खराब है, और अल्ट्रासाउंड कराने के लिए कोई डॉक्टर ही मौजूद नहीं है। टीटी जैसे जरूरी इंजेक्शन और सिरिंज तक अस्पताल में नहीं मिल रही – मरीजों को ये सब बाहर से खरीदनी पड़ रही हैं।
सबसे बड़ी चिंता की बात ये है कि दूर-दराज़ इलाकों से आने वाली डिलीवरी की मरीज़ बहनों को सीधे टांडा रेफर कर दिया जाता है। चौहान ने कहा कि अब तो यहां न मेडिसिन विभाग का डॉक्टर है और न ही ऑर्थोपेडिक का कोई विशेषज्ञ डॉक्टर।
जबकि ये सिविल हॉस्पिटल नेशनल हाईवे पर है और अक्सर रात के समय एक्सीडेंट के केस यहां पहुंचते हैं। लेकिन दुख की बात है कि रात को ये पूरा अस्पताल सिर्फ ट्रेनिंग डॉक्टरों के भरोसे चलता है, जो इमरजेंसी में सीनियर डॉक्टरों को उठाकर लाते हैं।
30 से 35 किलोमीटर के दायरे में ये इकलौता बड़ा सिविल हॉस्पिटल है, जिस पर भटियात, कोटला, हार, चकिया, मनई, लंज और पूरा शाहपुर विधानसभा क्षेत्र निर्भर करता है।
चौंकाने वाली बात ये है कि शाहपुर के माननीय विधायक और मुख्य सचेतक खुद लगभग हर महीने अस्पताल का दौरा करते हैं, फिर भी व्यवस्थाएं जस की तस बनी हुई हैं। ऐसे में सवाल उठता है – जब बड़े नेता खुद निरीक्षण कर रहे हैं तो सुधार क्यों नहीं हो रहा?
यह निश्चित तौर पर आम जनता के लिए चिंता का विषय है।
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