राजधानी शिमला की विवादित संजौली मस्जिद को लेकर नगर निगम आयुक्त कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। शनिवार को हुई सुनवाई में कोर्ट ने मस्जिद की निचली दो मंजिलों को भी अवैध करार देते हुए पूरी पांच मंजिला इमारत को गिराने के आदेश जारी किए हैं। इससे पहले 5 अक्तूबर 2023 को आयुक्त कोर्ट ने मस्जिद की ऊपरी तीन मंजिलों को अवैध घोषित कर गिराने के निर्देश दिए थे और वक्फ बोर्ड को निचली दो मंजिलों की वैधता साबित करने के लिए राजस्व रिकॉर्ड पेश करने का समय दिया था। शनिवार को इसी मामले की सुनवाई हुई, जिसमें वक्फ बोर्ड मस्जिद की जमीन के मालिकाना हक से संबंधित कोई भी दस्तावेज कोर्ट में पेश नहीं कर सका।
कोर्ट में यह स्पष्ट हुआ कि वर्ष 2010 में बिना अनुमति मस्जिद का निर्माण किया गया था और जमीन हिमाचल प्रदेश सरकार की है। वक्फ बोर्ड का दावा था कि निचली दो मंजिलें पुरानी हैं और वक्फ बोर्ड की जमीन पर बनी हैं, लेकिन इस संबंध में कोई दस्तावेज पेश नहीं किया गया। इसके चलते कोर्ट ने इन मंजिलों को भी अवैध मानते हुए गिराने के आदेश दिए। अधिवक्ता जगत पाल ने बताया कि नगर निगम आयुक्त ने मस्जिद की सभी पांच मंजिलों को अवैध करार देते हुए तोड़ने के आदेश दिए हैं।
कोर्ट ने पिछली सुनवाई में वक्फ बोर्ड और मस्जिद कमेटी को 3 मई तक जवाब देने और राजस्व रिकॉर्ड प्रस्तुत करने को कहा था। शनिवार को इसी निर्देश के तहत सुनवाई हुई। प्रदेश हाईकोर्ट ने इस मामले का निपटारा छह सप्ताह के भीतर करने के निर्देश दिए थे, जिसकी समय सीमा 8 मई को समाप्त हो रही है। इससे पहले ही नगर निगम आयुक्त कोर्ट ने अंतिम फैसला सुना दिया। मस्जिद का निर्माण 2010 में शुरू हुआ था और इसे नगर निगम से किसी प्रकार की अनुमति नहीं मिली थी। 2012 तक दो मंजिलें बनी थीं, जो 2018 तक पांच मंजिल हो गईं। इतने वर्षों में मस्जिद कमेटी नगर निगम से गारबेज और प्रॉपर्टी टैक्स की एनओसी तक प्राप्त नहीं कर सकी।
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