Himachal: चंबा जिले की वाइल्डलाइफ सेंचुरी में दुर्लभ वन्यजीवों की गतिविधियां: संरक्षण में एक नई सफलता

हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले की वाइल्डलाइफ सेंचुरी में दुर्लभ और संकटग्रस्त वन्यजीवों की गतिविधियों को ट्रैप कैमरों ने रिकॉर्ड किया है। यह सेंचुरी क्षेत्र वन विभाग के निरंतर प्रयासों का परिणाम है, जो अब दुर्लभ प्रजातियों को सुरक्षित रूप से फलने-फूलने का अवसर दे रहा है।

सेंचुरी की जैव विविधता में समृद्धि

चंबा का वाइल्डलाइफ सेंचुरी कई दुर्लभ और संकटग्रस्त प्रजातियों का घर है। हाल ही में ट्रैप कैमरों द्वारा दर्ज की गई फुटेज ने इस बात की पुष्टि की है कि यहां वन्यजीवों की गतिविधियां लगातार बढ़ रही हैं।

स्नो लेपर्ड (हिम तेंदुआ) की रिकॉर्डिंग एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। डिवीजनल फॉरेस्ट ऑफिसर कुलदीप जमवाल के अनुसार, इस प्रजाति को सेंचुरी के दो अलग-अलग स्थानों पर रिकॉर्ड किया गया है, जो वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में बड़ी सफलता है।

इसके अतिरिक्त, मस्क डियर, ब्राउन बियर और हिमालयन मार्टन जैसी दुर्लभ प्रजातियाँ भी ट्रैप कैमरों में कैद हुई हैं। खजियार क्षेत्र में 2400 मीटर की ऊंचाई पर सांभर और मस्क डियर को एक साथ रिकॉर्ड किया गया, जो जैव विविधता की समृद्धि को दर्शाता है।

संरक्षण प्रयासों में निरंतर सफलता

इन दुर्लभ प्रजातियों की उपस्थिति वन विभाग के निरंतर प्रयासों का परिणाम है। विभाग ने वाइल्डलाइफ सेंचुरी में वन्यजीवों की गतिविधियों की निगरानी के लिए ट्रैप कैमरों का प्रभावी उपयोग किया है।

जनता से अपील

वन विभाग ने स्थानीय लोगों से अपील की है कि यदि वे किसी जंगली जानवर को देखें, तो उसे नुकसान न पहुंचाएं और नजदीकी फॉरेस्ट गार्ड या फॉरेस्ट ऑफिस को सूचित करें। यह सहयोग वन्यजीवों की सुरक्षा में सहायक होगा।

निष्कर्ष

चंबा की वाइल्डलाइफ सेंचुरी एक उत्कृष्ट उदाहरण बन रही है, जहां संरक्षण के प्रयासों ने दुर्लभ प्रजातियों को सुरक्षा प्रदान की है। यह उपलब्धि वन विभाग के निरंतर प्रयासों का प्रमाण है और स्थानीय समुदाय के सहयोग को भी दर्शाती है।

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