नवोदय विद्यालय समिति (एनवीएस) की गैर-शिक्षण पदों के लिए आयोजित भर्ती परीक्षा में नकल के मामलों ने पूरे देश को चौंका दिया है।पुलिस की विशेष जांच टीम (एसआईटी) की शुरुआती जांच में यह स्पष्ट हो गया है कि यह मामला केवल कुछ उम्मीदवारों की व्यक्तिगत धोखाधड़ी का नहीं था, बल्कि एक योजनाबद्ध और संगठित अपराध का हिस्सा था। इस पूरे मामले में जो तथ्य सामने आ रहे हैं, वे यह दर्शाते हैं कि परीक्षा में शामिल कई उम्मीदवार नकल की तैयारी के साथ परीक्षा केंद्रों पर पहुंचे थे।
एसआईटी की रिपोर्ट के अनुसार, कुछ उम्मीदवार सुरक्षा जांच से बचने के लिए इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस अंडरगारमेंट्स में छिपाकर लाए थे। इन उपकरणों की मदद से वे बाहरी लोगों से संपर्क कर रहे थे और प्रश्नों के उत्तर प्राप्त कर रहे थे। कई परीक्षा केंद्रों पर संदेह के आधार पर जब सख्त जांच की गई, तो कपड़ों के अंदर, खासकर बाजुओं के नीचे से डिवाइस बरामद किए गए। यह साफ दिखाता है कि नकल करने वाले कितने शातिर थे और उन्होंने सुरक्षा व्यवस्था को धोखा देने के लिए तकनीकी और शारीरिक दोनों तरीकों का इस्तेमाल किया।
इस पूरे मामले में पुलिस ने अब तक आठ आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें सात पुरुष और एक महिला शामिल हैं। इन सभी को न्यायालय में पेश किया गया, जहां मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस रिमांड तीन दिन के लिए बढ़ा दी गई है। पुलिस अब इन आरोपियों से गहन पूछताछ कर रही है ताकि पूरे गिरोह और इसके सरगना तक पहुंचा जा सके।
अब तक की जांच में पुलिस ने गिरफ्तार अभ्यर्थियों के आधार कार्ड, पैन कार्ड, एडमिट कार्ड और नकल में इस्तेमाल किए गए इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जब्त किए हैं। इसके अलावा, अभियुक्तों के बयान भी पुलिस के पास हैं, जिनमें उन्होंने कबूल किया है कि परीक्षा के दौरान नकल के लिए उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का इस्तेमाल किया था।
इस मामले ने सरकारी भर्ती परीक्षाओं की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह स्पष्ट होता जा रहा है कि यह कोई साधारण नकल का मामला नहीं था, बल्कि एक संगठित अपराध था, जिसमें टेक्नोलॉजी और नेटवर्किंग का दुरुपयोग कर लाखों मेहनती अभ्यर्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया गया। पुलिस सूत्रों का कहना है कि जांच में उन्हें इस गिरोह के सरगना के संबंध में कई अहम जानकारियाँ मिली हैं, जिन्हें अब खंगाला जा रहा है।
यह मामला न केवल परीक्षा प्रणाली में सुधार की जरूरत को उजागर करता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि आने वाले समय में ऐसे संगठित अपराधों को रोकने के लिए सख्त निगरानी और आधुनिक तकनीकी उपायों को अपनाना बेहद जरूरी है।
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