हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के संजौली इलाके में स्थित जौंनांग बौद्ध मठ से तीन नाबालिग भिक्षुओं के लापता होने की खबर सामने आई है। यह घटना 11 मई की बताई जा रही है, जब तीनों बच्चे बिना किसी को जानकारी दिए अचानक मठ से गायब हो गए। मठ प्रशासन ने पूरे दिन शहर में उनकी तलाश की, लेकिन जब कोई सफलता नहीं मिली, तो अगले दिन यानी 12 मई को ढली थाना में मामले की शिकायत दर्ज करवाई गई। शिकायत मठ में प्रबंधक के पद पर कार्यरत सैंगे दोरजे ने दी, जो पिछले एक वर्ष से इस मठ से जुड़े हुए हैं।
सैंगे दोरजे के अनुसार, मठ में लगभग 150 बच्चे धार्मिक शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। लापता बच्चों में दो पश्चिम बंगाल से हैं, जिनकी उम्र 11 और 12 साल है, जबकि तीसरा बच्चा 13 साल का है और अरुणाचल प्रदेश से है। पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए इलाके में सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया है और आसपास के क्षेत्रों में बच्चों की तलाश की जा रही है।
यह पहली बार नहीं है जब मठ से बच्चे लापता हुए हैं। लगभग एक माह पहले भी इसी मठ से दो नाबालिग भिक्षु अचानक गायब हो गए थे। हालांकि उस समय वे मठ से बिना बताए बाहर घूमने निकल गए थे और रास्ता भटक गए थे, जिन्हें पुलिस ने 12 घंटे के भीतर ढली चौक से सकुशल ढूंढ लिया था।
जौंनांग टेकन फुत्सोक चोलिंग मठ भारत में जौंनांग परंपरा का एकमात्र बौद्ध मठ है। इसकी स्थापना वर्ष 1963 में अमदो लामा जिन्पा ने की थी और इसे पहले सांगे चोलिंग के नाम से जाना जाता था। यह मठ शिमला के संजौली की एक ऊँचाई पर स्थित है और वर्तमान में यहाँ 100 से अधिक भिक्षु निवास करते हैं। इस मठ में तिब्बती बौद्ध परंपरा के अनुसार बच्चों को धार्मिक शिक्षा और साधना का प्रशिक्षण दिया जाता है। यहाँ की एक विशिष्ट परंपरा में भिक्षु पहाड़ियों पर रंग-बिरंगे प्रार्थना झंडे लगाते हैं, जिन्हें तिब्बती संस्कृति में शांति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
पुलिस फिलहाल बच्चों की तलाश में जुटी हुई है और विभिन्न कोणों से मामले की जांच की जा रही है। मठ प्रशासन ने भी बच्चों की सुरक्षा को लेकर निगरानी व्यवस्था को और मजबूत करने का निर्णय लिया है।
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