Mandi: मंडी की करिश्मा ठाकुर बनीं भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट, परिवार और क्षेत्र का नाम रोशन

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मंडी जिले के रिवालसर स्थित कोठी गैहरी गांव की बेटी करिश्मा ठाकुर ने भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बनकर अपने परिवार और क्षेत्र का नाम रोशन किया है। एक किसान परिवार में जन्मी करिश्मा की यह उपलब्धि उनकी कड़ी मेहनत, समर्पण और मजबूत इच्छाशक्ति का प्रतीक है।

कोठी गैहरी के इस छोटे से गांव में जन्मी करिश्मा का भारतीय सेना में जाने का सपना हमेशा से था। वह अपनी शुरुआती शिक्षा कोठी गैहरी सरकारी विद्यालय से प्राप्त करने के बाद वल्लभ राजकीय महाविद्यालय, मंडी से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। वर्तमान में वह परास्नातक की अंतिम वर्ष की छात्रा हैं। अपने संघर्षों के बावजूद करिश्मा ने यह सफलता हासिल की है, जो आज न सिर्फ उनके परिवार बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए गर्व का विषय है।

करिश्मा ने अपनी सेना में शामिल होने की राह एनसीसी के माध्यम से शुरू की थी। एनसीसी ने उन्हें नेतृत्व क्षमता, शारीरिक फिटनेस और आत्मविश्वास प्रदान किया, जो भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बनने के लिए आवश्यक थे। उनका मानना ​​है कि किसी भी क्षेत्र में सफलता हासिल करने के लिए कठिन मेहनत और समर्पण जरूरी है।

अब करिश्मा का अगला कदम चेन्नई अकादमी में ऑफिसर ट्रेनिंग है, जो दिसम्बर में शुरू होने जा रही है। इस ट्रेनिंग के बाद वह एक पूरी तरह से प्रशिक्षित सेना अधिकारी बन जाएंगी। उनकी सफलता से न केवल उनका परिवार गर्वित है, बल्कि पूरे क्षेत्र के लोग भी खुशी मना रहे हैं।

करिश्मा ने अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार और शिक्षकों को दिया है, जिन्होंने हर कदम पर उनका मार्गदर्शन किया और उन्हें प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि उनके परिवार ने हमेशा उन्हें अपने सपने को पूरा करने के लिए प्रेरित किया और यह उपलब्धि उसी प्यार और समर्थन का परिणाम है।

कोठी गैहरी और आसपास के गांवों में करिश्मा की सफलता को लेकर खुशी की लहर है। उनका यह कदम क्षेत्र के युवाओं के लिए एक प्रेरणा है, खासकर उन लड़कियों के लिए जो भारतीय सेना में शामिल होने का सपना देखती हैं। करिश्मा के इस साहसिक कदम ने यह साबित कर दिया है कि महिलाओं के लिए भारतीय सेना में स्थान बनाने में कोई भी बाधा नहीं है।

करिश्मा युवाओं को संदेश देती हैं कि किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निरंतर मेहनत और समर्पण जरूरी है। वह मानती हैं कि सफलता किसी को भी आसानी से नहीं मिलती, बल्कि यह कठिन प्रयासों का परिणाम है। वह युवा पीढ़ी को प्रेरित करती हैं कि वे अपने सपनों को पूरा करने के लिए किसी भी कठिनाई से घबराएं नहीं और मेहनत करते रहें।

करिश्मा का यह सफर, जो एक छोटे से गांव से भारतीय सेना तक का था, एक उदाहरण है कि अगर आपकी इच्छाशक्ति मजबूत हो तो आप किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। यह कहानी हर उस व्यक्ति को प्रेरित करती है जो कठिन संघर्षों के बावजूद अपने सपनों को साकार करना चाहता है।

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