Mandi: बच्चा गोद लेना हुआ आसान—मंडी में बड़ी बैठक, लोगों को जागरूक करने का अभियान तेज

मंडी में बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया को सरल, पारदर्शी और जनसुलभ बनाने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता अतिरिक्त उपायुक्त मंडी गुरसिमर सिंह ने की। उन्होंने कहा कि दत्तक ग्रहण प्रक्रिया के बारे में सही जानकारी के अभाव में लोग अनावश्यक कठिनाइयों का सामना करते हैं, इसलिए जागरूकता कार्यक्रमों को प्रभावी ढंग से चलाना अत्यंत आवश्यक है। इस अवसर पर बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराई को खत्म करने के लिए सभी उपस्थित लोगों को शपथ भी दिलाई गई।

अतिरिक्त उपायुक्त गुरसिमर सिंह ने बताया कि आगामी तीन ग्राम सभाओं में बाल विवाह निषेध अधिनियम की विस्तृत जानकारी दी जाएगी। इसके लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को विशेष रूप से भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि बाल विवाह करवाने में शामिल परिजन, बैंड, टेंट, बाराती सहित सभी व्यक्ति कानूनन दोषी माने जाते हैं। इसके लिए दो वर्ष कारावास और एक लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।

उन्होंने बताया कि नवंबर माह हर वर्ष बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से मनाया जाता है। इस बार विशेष रूप से उन बच्चों के दत्तक ग्रहण पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है जो दिव्यांग हैं या जिनके माता-पिता नहीं हैं, ताकि उन्हें भी स्नेहपूर्ण और सुरक्षित परिवार मिल सके। इच्छुक दंपत्ति, एकल महिला या पुरुष अब मिशन वात्सलय पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन पंजीकरण कर आसानी से बच्चा गोद ले सकते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि बच्चा हमेशा कानूनी प्रक्रिया के तहत ही गोद लिया जाना चाहिए, जिससे भविष्य में किसी भी प्रकार की कानूनी जटिलता से बचा जा सके।

अतिरिक्त उपायुक्त ने जिला बाल संरक्षण अधिकारी को निर्देश दिए कि दत्तक ग्रहण प्रक्रिया संबंधी विस्तृत जानकारी पंचायत घरों में ए-4 साइज पोस्टर के रूप में प्रमुख स्थानों पर लगाई जाए और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से प्रचार को और प्रभावी बनाया जाए, ताकि जानकारी गांव-गांव तक पहुंच सके।

जिला बाल संरक्षण अधिकारी एन. आर. ठाकुर ने कहा कि भावी दत्तक अभिभावकों को शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और आर्थिक रूप से सक्षम होना चाहिए तथा उन पर किसी भी प्रकार का बाल अधिकार उल्लंघन सिद्ध नहीं होना चाहिए। दंपति के लिए दोनों की सहमति अनिवार्य है। एकल महिलाएं किसी भी बच्चे को गोद ले सकती हैं, जबकि एकल पुरुष केवल बालक को ही गोद ले सकते हैं। दंपति की संयुक्त आयु 85 से 110 वर्ष के बीच होनी चाहिए। जिन परिवारों के दो या अधिक बच्चे हैं, वे विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को गोद लेने पर विचार कर सकते हैं।

उन्होंने बताया कि वर्ष 2024-25 में कुल 4515 बच्चों को कानूनी प्रक्रिया द्वारा परिवार मिले, जिनमें 313 विशेष आवश्यकता वाले बच्चे शामिल थे। वर्तमान वर्ष में प्रदेश में 12 और मंडी जिले में 2 कानूनी दत्तक ग्रहण हुए हैं।

बैठक में पुलिस, स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला एवं बाल विकास, श्रम विभाग, बाल संरक्षण इकाई, बाल कल्याण समिति, चाइल्ड लाइन, मंडी जन विकास और साक्षरता समिति, ज्ञान विज्ञान समिति सहित 12 विभागों और स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

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