कसौली क्षेत्र में गरीबों को मिलने वाले सस्ते राशन की गुणवत्ता को लेकर गहरा रोष व्याप्त है। यहां के सरकारी राशन डिपो से मिलने वाले चावल में कंकड़-पत्थरों की मात्रा इतनी अधिक है कि वे खाने योग्य नहीं रह जाते। इसके साथ ही कई बोरियों में मिलने वाला गेहूं भी खराब हालत में है, जिसमें घुन लगने के साथ ही फफूंदी जैसी समस्या भी देखी जा रही है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना (एनएफएसए) और बीपीएल कार्डधारकों को हर यूनिट के हिसाब से गेहूं और चावल दिया जाता है, लेकिन कसौली में राशन की गुणवत्ता बेहद घटिया पाई जा रही है। उपभोक्ताओं का कहना है कि इस तरह का खराब अनाज उनके लिए खाने योग्य नहीं है और इससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं। राशन की खराब सप्लाई से स्थानीय लोग सरकार के प्रति आक्रोशित हैं और उन्होंने डिपो पर आने वाले राशन की जांच कराने की मांग की है। कसौली क्षेत्र में इस तरह खराब और घटिया राशन मिलने से गरीबों को बहुत परेशानी हो रही है, जो कि एक गंभीर सामाजिक और प्रशासनिक मुद्दा बन चुका है।
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