डलहौजी, हिमाचल प्रदेश: अखिल भारतीय शिक्षा बचाओ समिति ने आज डलहौजी में आयोजित एक पत्रकार वार्ता के दौरान ‘जन शिक्षा नीति 2025’ का मसौदा सार्वजनिक किया। समिति की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य और हिमाचल प्रभारी ऋतु कौशिक ने यह मसौदा जारी करते हुए बताया कि यह दस्तावेज देश के सभी राज्यों की राजधानियों में आज एक साथ जारी किया गया है। हिमाचल प्रदेश में इसका विमोचन डलहौजी से किया गया। इस अवसर पर समिति के प्रदेश अध्यक्ष जगजीत आज़ाद, महासचिव दिनेश शर्मा, और अन्य पदाधिकारी भी उपस्थित रहे।
ऋतु कौशिक ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को कोविड-19 महामारी के दौरान बिना किसी संसदीय बहस और राज्य सरकारों से परामर्श के लागू कर दिया गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि इस नीति के निर्माण में न तो आम जनता, न ही शिक्षाविदों और छात्रों की राय को महत्व दिया गया, जबकि शिक्षा संविधान की समवर्ती सूची में आती है। कौशिक ने यह भी उल्लेख किया कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में स्पष्ट किया है कि कोई भी राज्य सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के लिए बाध्य नहीं है।
उन्होंने कहा कि समिति का मानना है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 शिक्षा व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है, और इसी के विरोध में जन शिक्षा नीति 2025 तैयार की गई है। यह मसौदा वैज्ञानिक, धर्मनिरपेक्ष और जनवादी शिक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बनाया गया है। इसे अब राष्ट्रीय स्तर पर विस्तृत जन संवाद और चर्चा के लिए प्रस्तुत किया गया है।
ऋतु कौशिक ने बताया कि समिति का लक्ष्य है कि आम जनता और विशेषज्ञों के सुझावों के आधार पर इस मसौदे को अंतिम रूप दिया जाए और जनवरी 2026 में बेंगलुरु में आयोजित राष्ट्रीय जन संसद में इसे प्रस्तुत किया जाए। इसके बाद इसे केंद्र और राज्य सरकारों को सौंपा जाएगा। इस मौके पर नंदिनी शर्मा, प्रमोद कुमार, रामानंद, अमित कुमार, सुमन, और ओम आज़ाद सहित कई अन्य पदाधिकारी भी उपस्थित रहे।
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