राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) द्वारा नदियों और नालों में खनन पर पाबंदी लगाए जाने के बावजूद हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में खनन माफिया खुलेआम कानून की अनदेखी कर रहा है। सतलुज नदी और आसपास के नालों में दिन-रात जेसीबी, पोकलेन और हाईड्रा जैसी भारी मशीनों के जरिए अवैध खनन किया जा रहा है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि संबंधित विभागों को इसकी कोई जानकारी नहीं है, या फिर वे जानबूझकर आंखें मूंदे हुए हैं।
खनन माफिया ने कई स्थानों पर राष्ट्रीय राजमार्ग-5 (NH-5) से सतलुज नदी तक खुद ही सड़कें भी बना डाली हैं, ताकि भारी मशीनरी और वाहनों की आवाजाही सुचारु रूप से हो सके। स्थानीय लोगों ने कई बार इन अवैध गतिविधियों की शिकायत की है, लेकिन विभाग सिर्फ चालान काटने जैसी औपचारिक कार्रवाई करके अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि अवैध खनन को रोकने की दिशा में कोई ठोस प्रयास नहीं किए जा रहे हैं।
इस समय जिन स्थानों पर अवैध खनन हो रहा है, वे पुलिस की नजर से भी बहुत दूर नहीं हैं। सांगला थाना के अंतर्गत करछम पुलिस चौकी और दूसरी तरफ टापरी थाना, दोनों ही इन क्षेत्रों से कुछ ही दूरी पर स्थित हैं। इसके बावजूद खनन माफिया बिना किसी डर के दिन-रात अपने काम को अंजाम दे रहा है। यह स्थिति दर्शाती है कि कानून व्यवस्था की स्थिति कितनी लचर है।
भावानगर, टापरी, चोलिंग, किल्बा, रल्ली, अकपा और पूह सहित किन्नौर के कई क्षेत्रों में खनन माफिया सक्रिय हैं। इन स्थानों पर लगातार अवैध खनन किया जा रहा है और सतलुज नदी का सीना छलनी किया जा रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जिला प्रशासन इस पूरे मामले में पूरी तरह से विफल साबित हो रहा है और खनन माफिया पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं हो रही है।
इस संबंध में टापरी थाना प्रभारी शिव कुमार ने बताया कि अवैध खनन में लगे कुछ वाहनों का चालान किया गया है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग-5 पर बने वैली ब्रिज के पास हो रहे खनन की उन्हें कोई जानकारी नहीं है। यदि इस क्षेत्र में अवैध खनन हो रहा है, तो उचित कार्रवाई की जाएगी।
स्थिति स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि किन्नौर जिले में न तो प्रशासन और न ही पुलिस अवैध खनन पर नियंत्रण पा सकी है। एनजीटी की रोक के बावजूद खनन माफिया बेखौफ होकर अपने कार्यों को अंजाम दे रहे हैं, और सरकारी तंत्र मूक दर्शक बना हुआ है।
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