हिमाचल प्रदेश के सबसे पुराने औद्योगिक क्षेत्र परवाणु के सेक्टर 5 में शराब बनाने वाली एक फैक्ट्री को राज्य कर एवं आबकारी विभाग की प्रवर्तन टीम ने सील कर दिया है। यह कार्रवाई अतिरिक्त आयुक्त उज्ज्वल राणा के नेतृत्व में की गई, जिसमें विभाग की 10 सदस्यीय टीम ने छापा मारा। यह फैक्ट्री ‘केएम डिस्टिलरी’ के नाम से संचालित हो रही थी और हैरानी की बात यह है कि इसका लाइसेंस अप्रैल से ही रिन्यू नहीं हुआ था। इसके बावजूद यह कंपनी लगातार शराब का उत्पादन कर रही थी, जो पूरी तरह से अवैध है।
जांच के दौरान टीम को कंपनी के भीतर से कई आपत्तिजनक और चौंकाने वाले दस्तावेज व सामग्री बरामद हुई। सबसे पहले, वहां से 9 हजार बल्क लीटर एक्सट्रा न्यूट्रल एल्कोहल (ENA) का स्टॉक कम पाया गया, जो आमतौर पर शराब बनाने के काम में आता है। इससे यह संदेह और भी मजबूत हो गया कि कंपनी इस ENA का इस्तेमाल हरियाणा राज्य की शराब कंपनियों के लिए कर रही थी।
कंपनी के अंदर से हरियाणा राज्य के 48 हजार होलोग्राम जब्त किए गए, जिन्हें शराब की बोतलों पर लगाया जाता है। इसके अलावा, पानीपत की एक शराब कंपनी के ‘संतरा ब्रांड’ के 7000 लेबल भी वहां पाए गए। यही नहीं, ट्रैक एंड ट्रेस के 40 हजार स्टीकर भी बरामद किए गए, जिनका प्रयोग शराब के वितरण और निगरानी के लिए किया जाता है।
जब टीम को यह जानकारी मिली कि फैक्ट्री बिना वैध लाइसेंस के काम कर रही है, तो पूरे परिसर की गहनता से जांच की गई। जांच में यह स्पष्ट हो गया कि फैक्ट्री से दूसरे राज्यों की कंपनियों के लिए शराब बनाई जा रही थी। यह कार्रवाई राज्य कर एवं आबकारी विभाग द्वारा चलाए जा रहे विशेष अभियान का हिस्सा है, जिसमें हिमाचल प्रदेश में संचालित उन कंपनियों की जांच की जा रही है जो अवैध रूप से शराब का निर्माण कर पड़ोसी राज्यों को सप्लाई कर रही हैं।
इससे पहले भी विभाग की टीम ने कालाअंब में इसी प्रकार की एक फैक्ट्री को पकड़ा था। परवाणु की इस फैक्ट्री में बरामद सामग्री और दस्तावेजों के आधार पर यह स्पष्ट है कि यह कंपनी न केवल कानून का उल्लंघन कर रही थी, बल्कि सरकार को राजस्व का नुकसान भी पहुंचा रही थी। विभाग ने तुरंत प्रभाव से इस फैक्ट्री को सील कर दिया है और अब मामले की विस्तृत जांच जारी है।
राज्य कर एवं आबकारी विभाग (प्रवर्तन) के अतिरिक्त आयुक्त उज्ज्वल राणा ने इस पूरी कार्रवाई की पुष्टि करते हुए बताया कि केएम डिस्टिलरी को सील कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि यह फैक्ट्री हरियाणा राज्य की कंपनियों के लिए शराब का अवैध निर्माण कर रही थी और इसका लाइसेंस अप्रैल में समाप्त हो गया था। उन्होंने यह भी बताया कि विभाग को पहले से ही यह सूचना मिली थी कि परवाणु क्षेत्र में कुछ फैक्ट्रियां पड़ोसी राज्यों के लिए अवैध शराब बना रही हैं, जिसके चलते यह छापेमारी की गई।
इस पूरी कार्रवाई ने हिमाचल प्रदेश में अवैध शराब कारोबार के एक बड़े नेटवर्क की ओर इशारा किया है और विभाग अब आगे की जांच में जुटा है ताकि इस नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों और कंपनियों को भी बेनकाब किया जा सके।
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