हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में 5000 खैर के पेड़ों के अवैध कटान पर हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने स्वत: संज्ञान लिया है। मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश रंजन शर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार को इस संबंध में वास्तविक स्थिति से अवगत करवाने के निर्देश जारी किए हैं। इस मामले पर अगली सुनवाई 27 अप्रैल को निर्धारित की गई है।
यह मामला सिरमौर जिले के त्रिलोकपुर जंगल से जुड़ा है, जहां बड़े पैमाने पर खैर के पेड़ों का अवैध कटान हुआ है। मुख्य न्यायाधीश को भेजे गए पत्र में उल्लेख किया गया है कि पिछले आठ महीनों में लगभग 5000 खैर के पेड़ काटे गए हैं और इनकी जड़ें भी तीन फीट तक खोदकर उखाड़ी गई हैं।
इस अवैध कटान के पीछे हिमाचल और हरियाणा के ठेकेदारों की मिलीभगत की बात सामने आई है। हैरानी की बात यह है कि यह खैर कटान त्रिलोकपुर के प्रसिद्ध बालासुंदरी मंदिर और वन विभाग के रेंज ऑफिस के पास हुआ, लेकिन विभाग को इसकी जानकारी तक नहीं लगी।
स्थानीय लोगों के अनुसार, माफिया रातों-रात लकड़ी को फैक्टरियों और अन्य स्थानों पर बेच देता था, जिससे करोड़ों रुपए का अवैध व्यापार हुआ। बताया गया है कि खैर माफिया ने पहले निजी भूमि से पेड़ काटने की अनुमति ली थी, लेकिन उसी अनुमति की आड़ में जंगल के हजारों पेड़ काट दिए गए।
सरकारी नियमों के अनुसार, झाड़ी श्रेणी की जंगल भूमि से, चाहे वह निजी हो या सरकारी, खैर का कटान प्रतिबंधित है। खैर की लकड़ी की बाजार में भारी मांग है और एक बड़े पेड़ की कीमत एक लाख रुपए तक हो सकती है। ऐसे में इस अवैध कटान से करोड़ों का नुकसान और अवैध कारोबार होने की आशंका जताई गई है।
पत्र में स्थानीय लोगों ने इस पूरे मामले में सख्त जांच की मांग की है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की अपील की है।
For advertisements inquiries on HIM Live TV, Kindly contact us!
Connect with us on Facebook and WhatsApp for the latest updates!