भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी अपनी अत्याधुनिक तकनीक के दम पर देश की सुरक्षा और आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। संस्थान ने न केवल भारतीय सेना को उन्नत ड्रोन प्रदान किए हैं, बल्कि हिमाचल जैसे भूकंप-संवेदनशील राज्य के लिए एक ऐसी तकनीक भी विकसित की है, जो अब भूकंप की प्रारंभिक चेतावनी देने में सक्षम होगी।

आईआईटी मंडी के निदेशक प्रो. लक्ष्मीधर बेहरा ने 13वें दीक्षांत समारोह के उपरांत यह जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि संस्थान ने इसी वर्ष मई में भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के लिए 10 उन्नत ड्रोन भेजे थे।
प्रो. बेहरा के अनुसार—
“आईआईटी मंडी की ड्रोन टेक्नोलॉजी लैब तेजी से प्रगति कर रही है। अब हम डीआरडीओ के साथ मिलकर देश की सुरक्षा प्रणाली को तकनीकी रूप से और मजबूत करने पर कार्य कर रहे हैं।”

भूकंप और भूस्खलन की मिलेगी प्रारंभिक चेतावनी
संस्थान द्वारा विकसित अर्ली वार्निंग सिस्टम पहले केवल भूस्खलन से संबंधित अलर्ट जारी करता था। अब इसे अपग्रेड कर दिया गया है, जिससे यह भूकंप की शुरुआती सूचना देने में भी सक्षम होगा।
हिमाचल प्रदेश जैसे आपदा-प्रवण राज्य के लिए यह तकनीक बेहद उपयोगी साबित हो सकती है।
आपदा प्रबंधन शोध को टाटा ट्रस्ट से 20 करोड़ की मदद
प्रो. बेहरा ने बताया कि संस्थान के “आपदा प्रबंधन एवं जलवायु नियंत्रण केंद्र” को टाटा ट्रस्ट की ओर से 20 करोड़ रुपए का अनुदान प्राप्त हुआ है। यह राशि निम्न कार्यों में उपयोग की जाएगी—
• हिमाचल में भूस्खलन और भूकंप पर उन्नत शोध
• भूकंपरोधी भवनों एवं पुलों की नई तकनीक का विकास
• आपदा प्रबंधन प्रणालियों में नवोन्मेष
• उच्च संवेदनशील क्षेत्रों के लिए सुरक्षा मॉडल तैयार करना
राष्ट्रीय सुरक्षा और जन-कल्याण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है संस्थान
आईआईटी मंडी की ये उपलब्धियां दर्शाती हैं कि संस्थान केवल अकादमिक क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि राष्ट्र सुरक्षा, आपदा प्रबंधन, तकनीकी नवाचार और जन-कल्याण के कार्यों में भी अपनी सक्रिय और निर्णायक भागीदारी सुनिश्चित कर रहा है।
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