हिमाचल प्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा सड़कों के निर्माण में अपनाई जा रही आधुनिक तकनीकों ने अब पड़ोसी राज्य उत्तराखंड का ध्यान भी अपनी ओर खींच लिया है। इसी उद्देश्य से उत्तराखंड सरकार के एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने हिमाचल का दौरा किया और मंडी जिले में कीरतपुर से मनाली तक बनने वाले फोरलेन प्रोजेक्ट का विस्तृत निरीक्षण किया।
उत्तराखंड लोक निर्माण विभाग की टीम ने खास तौर पर पहाड़ों को स्थिर करने की तकनीक, पुलों और फ्लाईओवरों के डिजाइन, और सुरंग निर्माण में इस्तेमाल हो रही आधुनिक कार्यप्रणालियों को बारीकी से समझा। टीम ने बताया कि इन तकनीकों का इस्तेमाल उत्तराखंड की आगामी सड़क परियोजनाओं में करने पर गंभीरता से विचार होगा।
टीम का नेतृत्व कर रहे डॉ. पंकज कुमार पांडे ने कहा कि एनएचएआई ने हिमाचल में चल रहे सभी प्रोजेक्टों की जानकारी साझा की है। उन्होंने बताया कि स्लोप प्रोटेक्शन और टनल निर्माण के लिए यहां कई अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है, जो भौगोलिक चुनौतियों वाले पहाड़ी राज्यों के लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकती हैं।
टीम ने अपने दौरे के दौरान परवाणू-शिमला फोरलेन का भी निरीक्षण किया। बुधवार को अधिकारियों ने कीरतपुर-मनाली फोरलेन पर काम की गुणवत्ता और तकनीकी प्रक्रियाओं का विस्तृत अध्ययन किया। एनएचएआई अधिकारियों ने बताया कि पहाड़ी क्षेत्रों में निर्माण करते समय किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और उनसे निपटने के लिए कौन-सी तकनीक अपनाई जा रही है। मंडी से मनाली के बीच कई स्थानों पर ब्यास नदी राजमार्ग के बिल्कुल साथ बहती है, जिससे निर्माण कार्य और भी चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
दौरे पर आए अधिकारियों में डॉ. पंकज कुमार पांडे के साथ इंजीनियर इन चीफ राजेश शर्मा, चीफ इंजीनियर मुकेश परमार, एनएच सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर हरीश पांगटी, एग्जीक्यूटिव इंजीनियर सुरेश तोमर और मनोज रावत, तथा असिस्टेंट इंजीनियर अंकित नौटियाल शामिल रहे। एनएचएआई की ओर से रीजनल ऑफिसर शिमला कर्नल अजय सिंह बरगोती, पीआईयू शिमला के प्रोजेक्ट डायरेक्टर आनंद कुमार, पीआईयू हमीरपुर के प्रोजेक्ट डायरेक्टर विक्रम सिंह मीणा और पीआईयू मंडी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर वरुण चारी भी मौजूद रहे।
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