
धर्मशाला में सरकार के खिलाफ गरजे युवा, जॉब ट्रेनी पॉलिसी को बताया ‘शोषणकारी’
हिमाचल प्रदेश सरकार की नई जॉब ट्रेनी पॉलिसी के खिलाफ सोमवार को युवाओं का गुस्सा फूट पड़ा। जिला मुख्यालय धर्मशाला स्थित डीसी ऑफिस के बाहर अलग-अलग इलाकों से पहुंचे दर्जनों युवाओं ने विरोध प्रदर्शन किया और सरकार को जमकर घेरा।
प्रदर्शनकारी युवाओं का कहना है कि ये नई नीति उनके भविष्य के साथ एक खुला मज़ाक है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने इसे जल्द वापस नहीं लिया तो वे शिमला सचिवालय का घेराव करेंगे।
युवाओं का दर्द, उनके ही शब्दों में
हरीश कुमार ने साफ कहा, “यह पॉलिसी युवाओं के साथ धोखा है। 2 साल की अस्थायी नौकरी और फिर से परीक्षा देना पूरी तरह से गलत है। सरकार इसे फौरन रद्द करे, वो भी लिखित आदेश के साथ।”
दीक्षा डोगरा बोलीं, “हमने डिग्री, डिप्लोमा और टैट पास किया है। फिर भी हमें ट्रेनी बना दिया गया और 2 साल बाद दोबारा परीक्षा? यह नीति हमारी योग्यता का अपमान है।”
विकी ने सवाल उठाया, “जब एक बार आयोग ने परीक्षा लेकर हमें चुना है, तो फिर दोबारा परीक्षा क्यों? फिर तो आयोग की परीक्षा का क्या मतलब रह जाता है? यह पॉलिसी हमें कतई मंजूर नहीं।”
कुलदीप ने चिंता जताई, “हमें दो साल के लिए सिर्फ ट्रेनी माना जाएगा, सरकारी कर्मचारी नहीं। इसका मतलब यह है कि हमारे पास कोई अधिकार नहीं होंगे और अधिकारी कभी भी हमें शोषित कर सकते हैं।”
अरुण ने कहा, “हमने टैट पास किया, ट्रेनिंग ली, अब आयोग की परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। लेकिन सरकार हर बार नई नीति लाकर हमारे भरोसे को तोड़ देती है। यह सरासर अन्याय है।”
पूजा ने साफ शब्दों में कहा, “जब दो साल बाद फिर परीक्षा ही लेनी है, तो सरकार पहले से स्थायी नियुक्ति क्यों नहीं देती? यह सिर्फ तनाव बढ़ाने वाली नीति है, जिससे पारदर्शिता भी खत्म हो सकती है।”
युवाओं की यह नाराजगी सरकार के लिए एक बड़ा संदेश है। अगर मांगें नहीं मानी गईं तो आने वाले दिनों में यह आंदोलन और बड़ा रूप ले सकता है। अब देखना ये है कि सरकार इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाती है।
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