हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने उन सेवानिवृत्त तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को बड़ी राहत दी है जो पुरानी पेंशन योजना (OPS) का विकल्प निर्धारित 60 दिनों की अवधि के भीतर नहीं चुन सके थे। न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने फूलमती द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि 4 मई 2023 को जारी सरकारी ज्ञापन में उल्लिखित समय सीमा को ऐसे कर्मचारियों पर सख्ती से लागू करना अनुचित है।
कोर्ट ने कहा कि चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी शायद ही सरकारी ज्ञापन या उसके प्रभावों के बारे में जानते हों। ऐसे में नियोक्ता का कर्तव्य है कि वह कर्मचारियों को इस प्रकार के निर्णयों के बारे में सूचित करें और उनके विकल्प प्राप्त करें। न्यायमूर्ति गोयल ने कहा कि ऐसे मामलों में कर्मचारियों को उचित समय सीमा दी जानी चाहिए।
यह मामला 4 मई 2023 की अधिसूचना से संबंधित है, जब हिमाचल प्रदेश सरकार ने पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू किया। अधिसूचना के अनुसार, सेवानिवृत्त कर्मचारियों को 60 दिनों की अवधि में पेंशन योजनाओं में से एक का चयन करना था। याचिकाकर्त्ता फूलमती ने अपनी याचिका में कहा कि वह इस ज्ञापन से अनजान थीं और समय पर अपना विकल्प प्रस्तुत नहीं कर सकीं।
उन्होंने अदालत से अनुरोध किया कि उन्हें 1972 के पेंशन नियमों के तहत सभी लाभ दिए जाएं। सरकार ने उनकी याचिका का विरोध करते हुए कहा कि फूलमती ने 4 नवंबर 2023 को विकल्प प्रस्तुत किया, जो निर्धारित समय सीमा के बाद था। इसलिए, उन्हें पुरानी पेंशन योजना के तहत लाभ नहीं दिया जा सकता।
याचिकाकर्त्ता ने दावा किया कि उन्हें विकल्प चुनने के लिए कभी सूचित नहीं किया गया। कोर्ट ने उनकी दलील को स्वीकार करते हुए 4 नवंबर 2023 को दिए गए विकल्प को वैध माना और सरकार को उनके मामले को पुरानी पेंशन योजना के तहत आगे बढ़ाने का आदेश दिया।
यह निर्णय हाईकोर्ट के सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण को दर्शाता है, खासकर उन कर्मचारियों के लिए जो सरकारी नीतियों और ज्ञापनों से पूरी तरह अवगत नहीं होते। यह नियोक्ताओं पर यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी भी डालता है कि वे कर्मचारियों को महत्वपूर्ण निर्णयों के बारे में जागरूक करें और उन्हें अनुपालन के लिए पर्याप्त समय दें।
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