हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के सेवकरा गांव की दीक्षा सोनी ने महज 19 साल की उम्र में एमबीबीएस में दाखिला लेकर और 24 साल की उम्र में डॉक्टर बनकर अपने परिवार का नाम रोशन किया है। आज वह भारतीय सेना में कैप्टन के पद पर तैनात हैं और ‘योल’ कैम्प में देश की सेवा कर रही हैं।
शैक्षणिक सफर
दीक्षा सोनी का जन्म 1993 में सुरिंदर सोनी और सुनीता सोनी के घर हुआ। उनके पिता एक सुनार हैं और माता एक सिलाई अध्यापिका। दीक्षा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा महार्षि विद्या मंदिर पब्लिक स्कूल से प्राप्त की और जमा दो की पढ़ाई डीएवी कांगड़ा से की। इसके बाद, उन्होंने डॉ. राजेंद्र कुमार मेडिकल कॉलेज कांगड़ा से एमबीबीएस की पढ़ाई की।
19 साल की उम्र में, दीक्षा ने राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगी परीक्षा पास की और एमबीबीएस में दाखिला लिया। केवल 24 साल की उम्र में डॉक्टर बनकर, उन्होंने हिमाचल प्रदेश के हेल्थ डिपार्टमेंट में दो साल तक सेवा दी।
सेना में करियर
दीक्षा ने डॉक्टर के रूप में कार्य करते हुए लोगों की सेवा की और फिर भारतीय सेना में जाने का फैसला किया। उन्होंने शार्ट सर्विस कमीशन की परीक्षा पहले प्रयास में पास की, जिसमें केवल 30 पद लड़कियों के लिए थे। दीक्षा ने 15 अक्टूबर 2020 को योल कैम्प में कैप्टन पद पर नियुक्ति पाई।
प्रेरणा स्रोत
दीक्षा अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, ताया-ताई और नाना को देती हैं। उनका मानना है कि भारतीय सेना में शामिल होना और देश की सेवा करना गर्व की बात है।
दीक्षा की कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि यदि इरादे मजबूत हों तो कोई भी मंजिल पाई जा सकती है।
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