बरोट, 25 नवंबर। शांत बरोट का लक्कड़ बाज़ार उस वक्त अफरा-तफरी में बदल गया जब खेम सिंह के लोहे की चादरों से बने चार कमरों वाले मकान में अचानक आग भड़क उठी। आग इतनी भयानक थी कि मकान पूरी तरह से राख हो गया और अनुमानित 12 लाख रुपये का नुकसान हुआ।
ग्रामीणों की बहादुरी ने बड़ा हादसा टाला
आग की खबर फैलते ही थुजी, धरागना और बरोट बाज़ार सहित आसपास के गांवों के सैंकड़ों लोग घटनास्थल पर पहुंचे। किसी भी दमकल सुविधा के बिना ही, स्थानीय लोग पहले बचावकर्मी बने। उन्होंने पास की नदी से पानी लाने के लिए मानव श्रृंखला बनाई और आग की लपटों को बुझाने में जुट गए।
लगभग एक घंटे की अथक कोशिशों के बाद, और कुछ सटे मकानों की चादरों को हटा कर आग के मार्ग को रोके जाने के बाद, ग्रामीणों ने आग पर काबू पा लिया।
रात होती तो हो सकता था करोड़ों का नुकसान
स्थानीय लोगों की त्वरित और निस्वार्थ कार्रवाई ने बड़ी त्रासदी को टाल दिया। यदि यह हादसा रात में हुआ होता, तो आग लगभग 70-80 लकड़ी की दुकानों और आस-पास के मकानों को अपनी चपेट में ले सकती थी। इससे न केवल करोड़ों रुपये का नुकसान होता बल्कि कई लोगों की जान भी जोखिम में पड़ सकती थी।
प्रशासन की ओर से सहायता
घटना की सूचना मिलने पर पटवारी हल्के रोहित कुमार मौके पर पहुंचे और नुकसान का आकलन किया। उन्होंने बताया कि खेम सिंह का वास्तविक नुकसान लगभग 8 लाख रुपये का है। राहत स्वरूप उन्हें 10,000 रुपये नकद और एक सुरक्षात्मक तिरपाल प्रदान किया गया।
ग्रामीणों की मांग
स्थानीय समुदाय ने सरकार से बरोट क्षेत्र में अग्निशमन सुविधाओं को मजबूत करने की मांग की है, ताकि भविष्य में इस तरह के हादसों से बचाव संभव हो और निवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
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