Himachal: हिमाचल में बिना टेस्ट के नहीं बनेगा ड्राइविंग लाइसेंस – कांगड़ा और बिलासपुर में शुरू होंगे ऑटोमैटिक टेस्टिंग सेंटर!

हिमाचल प्रदेश में ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने की प्रक्रिया अब पूरी तरह से तकनीकी और पारदर्शी होने जा रही है। सरकार ने प्रदेश में ड्राइविंग टेस्ट को ऑटोमैटिक मशीनों के माध्यम से संचालित करने का फैसला लिया है। इस नई व्यवस्था की शुरुआत कांगड़ा और बिलासपुर जिलों से की जा रही है, जहां परिवहन विभाग जल्द ही ड्राइविंग टेस्टिंग सेंटर्स (DTC) की स्थापना करने जा रहा है। इन सेंटरों पर आवेदकों को लाइसेंस प्राप्त करने के लिए पहले टेस्ट पास करना अनिवार्य होगा, और केवल पास होने वाले आवेदकों को ही प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा। यह प्रमाणपत्र आरटीओ (RTO) या आरएलए (RLA) कार्यालय में जमा करने के बाद कुछ ही दिनों में ड्राइविंग लाइसेंस जारी किया जाएगा।

वर्तमान में हिमाचल में ड्राइविंग टेस्ट मैनुअल तरीके से लिए जाते हैं, जहां लाइसेंस आवेदक से वाहन चलवाकर मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर (MVI) उसका मूल्यांकन करता है। लेकिन इस प्रक्रिया में कई बार ऐसे आवेदकों को भी लाइसेंस मिल जाने की आशंका रहती है, जो वाहन चलाने में पूरी तरह सक्षम नहीं होते। ऐसे मामलों को रोकने और प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए राज्य सरकार ने अब इसे पूरी तरह से ऑटोमैटिक बनाने का निर्णय लिया है।

नए ड्राइविंग टेस्टिंग सेंटर्स में आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा, जिसमें एक्सेस कंट्रोल एंट्री और एग्जिट सिस्टम, फुली ऑटोमैटिक टैस्ट ट्रैक, वीडियो एनालिटिक्स टेक्नोलॉजी और एग्जिट कॉरिडोर जैसे फीचर्स शामिल होंगे। इस ट्रैक को दो हिस्सों में विभाजित किया गया है—एक हिस्सा दोपहिया वाहन चालकों के लिए, जबकि दूसरा चारपहिया वाहन चालकों के लिए होगा। टेस्टिंग के दौरान आवेदकों को ट्रैफिक सिग्नल, मोड़, रिवर्स मोड़ जैसे कई परीक्षणों से गुजरना होगा, जिससे उनका वास्तविक ड्राइविंग कौशल आंका जाएगा।

यदि कोई आवेदक टेस्ट में फेल हो जाता है, तो उसे कुछ समय बाद दोबारा टेस्ट देना होगा। इन ऑटोमैटिक सेंटरों में ड्राइविंग टेस्ट देने के लिए अब एमवीआई की आवश्यकता नहीं होगी, जिससे भ्रष्टाचार और अनुचित हस्तक्षेप की संभावना भी समाप्त हो जाएगी। परिवहन विभाग के निदेशक डी.सी. नेगी के अनुसार, ड्राइविंग लाइसेंस की प्रक्रिया को आधुनिक बनाने की दिशा में यह एक बड़ा कदम है। प्रारंभिक चरण में कांगड़ा और बिलासपुर में यह व्यवस्था लागू की जा रही है और धीरे-धीरे इसे प्रदेश के अन्य जिलों में भी विस्तारित किया जाएगा।

इस नई व्यवस्था के अंतर्गत यह सुनिश्चित किया जाएगा कि केवल वही आवेदक ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त कर सकें, जो टेस्ट में पूरी तरह पास होते हैं। इसके साथ ही सड़क सुरक्षा को लेकर भी सरकार की गंभीरता स्पष्ट होती है, क्योंकि केवल कुशल और प्रशिक्षित चालक ही अब लाइसेंसधारी बन सकेंगे।

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