गोरड़ा पंचायत के रैत विकास खंड स्थित ऐतिहासिक मछरात नाथ तालाब के संरक्षण और संवर्धन के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएंगे, जैसा कि उपमुख्य सचेतक केवल सिंह पठानिया ने बताया। तालाब की ऐतिहासिक और धार्मिक महत्ता को देखते हुए इस पर विशेष ध्यान दिया जाएगा, और इसके सौंदर्यीकरण के लिए लेकमैन ऑफ इंडिया आनंद मल्लिकावाद के सुझावों के आधार पर एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार की जाएगी।
बुधवार को उपमुख्य सचेतक केवल सिंह पठानिया और आनंद मल्लिकावाद ने मछरात तालाब का निरीक्षण किया और इसके संरक्षण के लिए आवश्यक कदमों पर चर्चा की। इसके बाद, पठानिया ने कहा कि यह तालाब धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है और इसके सौंदर्यीकरण से स्थानीय पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि तालाब का पानी आसपास के ग्रामीणों को पेयजल की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए एक प्रमुख स्रोत बनेगा।
पठानिया ने आगे कहा कि सरकार पारंपरिक जल स्रोतों के संरक्षण पर विशेष ध्यान दे रही है। “गांवों में पुराने समय से ही लोग पारंपरिक जल स्रोतों पर निर्भर रहते आए हैं, और आज भी इनका उतना ही महत्व है,” उन्होंने कहा। पठानिया ने ग्रामीण विकास विभाग को निर्देश दिए हैं कि वे कुंओं और बावड़ियों का उचित रखरखाव सुनिश्चित करें, ताकि इन जल स्रोतों का सही उपयोग किया जा सके।
उन्होंने यह भी बताया कि स्थानीय लोगों को इन जल स्रोतों के संरक्षण में भागीदारी बढ़ाने के लिए प्रेरित किया जाएगा, ताकि यह जल स्रोत आने वाली पीढ़ियों के लिए भी उपयोगी बने रहें।
लेकमैन ऑफ इंडिया आनंद मल्लिकावाद ने मछरात तालाब का निरीक्षण करते हुए कहा कि स्थानीय पंचायत प्रतिनिधियों ने तालाब के संरक्षण के लिए सही कदम उठाए हैं। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि तालाब से गाद हटाकर इसके पानी का बेहतर उपयोग सुनिश्चित किया जा सकता है।
इस अवसर पर एसडीएम करतार चंद, बीडीओ, जल शक्ति विभाग के अधिकारी और स्थानीय पंचायत प्रतिनिधि भी उपस्थित थे। इस परियोजना का उद्देश्य पारंपरिक जल स्रोतों को संरक्षित करना और ग्रामीण क्षेत्र की जल आपूर्ति को बेहतर बनाना है, जिससे न केवल ग्रामीण जीवन में सुधार होगा, बल्कि स्थानीय पर्यटन भी बढ़ेगा।
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