Himachal: IGMC विवाद पर बड़ा संकेत: डॉ. राघव नरूला की बहाली पर बन सकती है बात, CM सुक्खू ने दिए समीक्षा के आदेश

शिमला। हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी) में डॉक्टर और मरीज के बीच हुए विवाद के बाद पैदा हुआ तनाव अब धीरे-धीरे कम होता नजर आ रहा है। डॉ. राघव नरूला की बर्खास्तगी के विरोध में हड़ताल पर गए रेजिडेंट डॉक्टरों के ड्यूटी पर लौटने से जहां स्वास्थ्य सेवाएं फिर से सामान्य हो गई हैं, वहीं मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के ताजा बयान ने इस पूरे मामले को नई दिशा दे दी है। मुख्यमंत्री के शब्दों से यह संकेत साफ मिला है कि डॉ. राघव नरूला की सेवाओं की बहाली की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।

सोमवार को मुख्यमंत्री सुक्खू ने रेजिडेंट डॉक्टरों द्वारा हड़ताल समाप्त कर काम पर लौटने के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों की वापसी से आम जनता को बड़ी राहत मिली है और प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था दोबारा पटरी पर आई है। इसी दौरान मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि डॉ. राघव नरूला के टर्मिनेशन की समीक्षा के लिए एक नई कमेटी का गठन किया जाएगा, जो पूरे मामले की गहन जांच करेगी।

मुख्यमंत्री ने साफ शब्दों में कहा कि सरकार किसी भी डॉक्टर के साथ अन्याय नहीं करना चाहती और न ही किसी का करियर खराब करना उसका उद्देश्य है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि डॉ. राघव नरूला को बर्खास्त करने का फैसला सीधे तौर पर सरकार ने नहीं लिया था, बल्कि यह कार्रवाई जांच रिपोर्ट के आधार पर संबंधित विभाग द्वारा की गई थी। अब सरकार इस पूरे मामले को नए सिरे से परखने जा रही है।

सीएम सुक्खू ने भरोसा दिलाया कि गठित की जाने वाली समिति निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से जांच करेगी। यदि समीक्षा के दौरान किसी स्तर पर कोई चूक सामने आती है, तो उसे सुधारा जाएगा। सरकार का मकसद किसी को दंडित करना नहीं, बल्कि सच्चाई सामने लाना है, ताकि भविष्य में इस तरह की स्थिति दोबारा पैदा न हो।

हालांकि मुख्यमंत्री ने डॉ. राघव नरूला की बहाली को लेकर कोई सीधी घोषणा नहीं की, लेकिन उनके बयान से यह स्पष्ट हो गया है कि सरकार इस मामले में कठोर रुख अपनाने के बजाय न्यायपूर्ण समाधान की दिशा में आगे बढ़ रही है। पुनः जांच और किसी के साथ अन्याय न होने देने का आश्वासन डॉ. राघव नरूला की बर्खास्तगी रद्द होने की उम्मीद को मजबूत करता है।

तीन दिन तक चली रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल खत्म होने के बाद आईजीएमसी शिमला सहित प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं पूरी तरह बहाल हो गई हैं। नियमित जांच, टेस्ट और ऑपरेशन फिर से शुरू कर दिए गए हैं। हड़ताल के दौरान केवल आपातकालीन सेवाएं जारी थीं, जिससे मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था।

मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि दिल्ली दौरे से लौटने के बाद उन्होंने रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन को पूरे मामले की विस्तृत जांच का भरोसा दिया था। इसी आश्वासन के बाद आरडीए ने अनिश्चितकालीन हड़ताल वापस लेने का फैसला किया। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि जांच प्रक्रिया में आरडीए को शामिल किया जाएगा, ताकि डॉक्टरों का पक्ष भी मजबूती से सामने आ सके।

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