पति की असामयिक मृत्यु किसी भी परिवार को तोड़ देती है—भावनात्मक रूप से भी और आर्थिक रूप से भी। खासकर तब, जब घर संभालने वाली महिला सिर्फ गृहिणी हो। बच्चों की पढ़ाई, उनके भविष्य और रोजमर्रा के खर्च अचानक पहाड़ बनकर सामने खड़े हो जाते हैं। यही हाल हुआ नादौन उपमंडल के गांव तरेटी की वीना देवी का, जिनके पति का अप्रैल 2023 में निधन हो गया था।
उस समय वीना देवी को सबसे ज्यादा चिंता अपने बच्चों—साक्षी और तेजस—की पढ़ाई की थी। लेकिन तभी उन्हें प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी इंदिरा गांधी सुख शिक्षा योजना के बारे में पता चला, जिसने उनकी जिंदगी बदल दी।
सुक्खू सरकार की योजना ने थाम लिया हाथ
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा शुरू की गई यह योजना उन परिवारों के लिए वरदान साबित हो रही है, जहां विधवा महिलाएं, तलाकशुदा महिलाएं या दिव्यांग माता-पिता अपने बच्चों की पढ़ाई का खर्च नहीं उठा पाते।
इस योजना के तहत—
• 18 वर्ष तक के बच्चों को 1000 रुपये मासिक आर्थिक मदद
• 18 से 27 वर्ष तक के युवाओं की उच्च शिक्षा के लिए फीस, हॉस्टल और मेस का पूरा खर्च सरकार दे रही है
इसी मदद ने वीना देवी के बच्चों का भविष्य बचा लिया।
दोनों बच्चे NIT में पढ़ रहे, लाखों की मदद मिल चुकी
वीना देवी ने योजना के लिए आवेदन किया और उनका आवेदन तुरंत मंजूर भी हो गया।
इसके बाद—
• बेटी साक्षी (केमिकल इंजीनियरिंग, NIT)
अब तक लगभग 1.5 लाख रुपये की सहायता
• बेटा तेजस (कंप्यूटर इंजीनियरिंग, NIT)
पहले सेमेस्टर में ही करीब 70 हजार रुपये की मदद
दोनों भाई-बहन मुख्यमंत्री सुक्खू और सरकार का आभार व्यक्त करते हैं और कहते हैं कि इसी योजना के कारण वे बिना किसी तनाव के NIT में पढ़ाई कर पा रहे हैं।
जिला में भी हजारों बच्चों को मिली आर्थिक राहत
महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी अनिल कुमार ने बताया—
• 18 वर्ष तक के 1510 पात्र बच्चों के लिए अब तक 1.52 करोड़ रुपये की सहायता जारी
• 18 से 27 वर्ष तक के 162 युवाओं के लिए 18.45 लाख रुपये की आर्थिक मदद
यह आंकड़े दिखाते हैं कि योजना किस तरह हजारों परिवारों का भविष्य बदल रही है।
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