हिमाचल परिवहन तकनीकी कर्मचारी संगठन की त्रैमासिक बैठक मंगलवार को HRTC मुख्य कार्यशाला तारादेवी में आयोजित हुई, जिसकी अध्यक्षता संगठन अध्यक्ष पूर्ण शर्मा ने की। बैठक में प्रदेशभर के विभिन्न डिपो से 100 से अधिक तकनीकी कर्मचारियों ने हिस्सा लिया। इस दौरान वर्कशॉप्स की बदहाल हालत, तकनीकी स्टाफ की भारी कमी, पीस-मील कर्मचारियों को अनुबंध में न लेने और तकनीशियनों को टेक्निकल स्केल का लाभ न मिलने जैसे मुद्दों पर जोरदार चर्चा हुई।
अध्यक्ष पूर्ण शर्मा और राज्य प्रधान खेम चंद ने कहा कि निगम प्रबंधन लंबे समय से इन गंभीर समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रहा, जिससे कर्मचारियों में गहरी नाराजगी है। संगठन पदाधिकारियों का कहना है कि तकनीकी कर्मचारियों पर लगातार कार्यभार बढ़ाया जा रहा है और उनसे अन्य ट्रेड का काम भी करवाया जा रहा है, जिससे वे मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान हैं। इसके बावजूद वर्षों से नया स्टाफ भर्ती नहीं किया गया।
3200 बसों के लिए सिर्फ 1100 तकनीकी कर्मचारी!
महासचिव एच.के. शर्मा ने बताया कि वर्ष 1996 में HRTC के पास 1700 बसों के लिए 2200 तकनीकी कर्मचारी थे, जबकि आज बसों की संख्या बढ़कर 3200 हो चुकी है और तकनीकी स्टाफ घटकर सिर्फ 1100 रह गया है।
उन्होंने नए खुले डिपो में स्टाफ की मंजूरी न मिलने पर भी कड़ा रोष जताया।
वर्कशॉप की स्थिति बताते हुए संगठन ने कहा कि तकनीशियनों के लिए धूल, धूप, बारिश, कीचड़ और अत्यधिक तापमान से बचाव की कोई व्यवस्था नहीं है। शोर, धुआं और गंदगी बढ़ते जा रहे हैं, लेकिन प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया।
आंदोलन की तैयारी: वर्क टू रूल और वर्क टू डेजिगनेशन की चेतावनी
बैठक में फैसला लिया गया कि संगठन प्रबंधन और परिवहन मंत्री से वर्कशॉप्स में सुधार, निर्धारित मानक के अनुसार तकनीकी स्टाफ भर्ती, पीसमील कर्मचारियों को अनुबंध में शामिल करने, आधुनिक उपकरण उपलब्ध करवाने, पदोन्नति नियमों में बदलाव और वेतन विसंगतियों को दूर करने की मांग करेगा।
संगठन ने साफ चेतावनी दी कि यदि इन मांगों पर जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो तकनीकी कर्मचारी वर्क टू रूल और वर्क टू डेजिगनेशन जैसे आंदोलन शुरू करेंगे। जरूरत पड़ी तो संगठन श्रम न्यायालय भी जाएगा।
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