मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बड़ा बयान देते हुए कहा है कि सरकार ने हिमकेयर योजना में चल रहे “चोर दरवाजों” को पूरी तरह बंद कर दिया है। उन्होंने बताया कि यह योजना अब केवल सरकारी संस्थानों में ही लागू रहेगी, जबकि राज्य के सभी निजी अस्पतालों में डायलिसिस की सुविधा पूरी तरह मुफ्त उपलब्ध रहेगी।

सीएम सुक्खू ने बताया कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में 5.80 लाख से ज्यादा लोगों को हिमकेयर के तहत 810 करोड़ रुपये का लाभ मिल चुका है। उन्होंने कहा कि योजना को पारदर्शी बनाने के लिए कई बड़े बदलाव किए गए हैं।
हर साल तिमाही आधार पर बनेंगे हिमकेयर कार्ड
सरकार ने फैसला किया है कि अब हिमकेयर कार्ड हर साल तिमाही आधार पर बनाए जाएंगे और उनकी वैधता एक वर्ष रहेगी।
कार्ड बनाने के लिए पोर्टल—
•मार्च
• जून
• सितंबर
• दिसंबर
में एक-एक महीने के लिए खुला रहेगा।
सुक्खू ने बताया कि गरीब और जरूरतमंद लोगों की सुविधा के लिए मेडिकल कॉलेजों के प्रिंसिपल और चिकित्सा अधीक्षक विशेष परिस्थितियों में साल भर किसी भी समय हिमकेयर कार्ड जारी कर सकेंगे।

किसे मिलेगा मुफ्त कार्ड और किसे देना होगा शुल्क?
हिमकेयर कार्ड बीपीएल परिवारों, मनरेगा मजदूरों, रेहड़ी-फड़ी वालों, अनाथों और जेल कैदियों के लिए बिल्कुल मुफ्त हैं।
जबकि 365 रुपये शुल्क लिया जाएगा—
• एकल महिलाएं
• अनुबंध/आउटसोर्स कर्मचारी
• 40% से अधिक दिव्यांगजन
• मिड-डे मील वर्कर्स
• अंशकालिक एवं दैनिक वेतन भोगी
बाकी पात्र वर्गों से 1000 रुपये शुल्क लिया जाता है।
योजना के तहत 3,227 बीमारियों का मुफ्त इलाज उपलब्ध है और यह सुविधा हिमाचल के 136 सरकारी संस्थानों के साथ-साथ PGI चंडीगढ़ और GMCH चंडीगढ़ में भी दी जा रही है।
हिमकेयर और आयुष्मान भारत में कहां छिपे थे “चोर दरवाजे”?
सीएम सुक्खू ने बताया कि निजी अस्पतालों द्वारा फर्जी बिलों और गलत इलाज दिखाने जैसी शिकायतें लगातार सामने आ रही थीं।
कैबिनेट में हुई प्रस्तुति में खुलासा हुआ कि—
• आयुष्मान भारत की देनदारी 45 करोड़ से बढ़कर 125 करोड़ रुपये हो गई
• हिमकेयर के नाम पर देनदारी लगभग 350 करोड़ रुपये तक पहुंच गई
इन शिकायतों के चलते सरकार ने हिमकेयर में चल रही गलत प्रथाओं पर पूरी तरह रोक लगाते हुए नियम सख्त कर दिए हैं।
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