Himachal: हिमाचल प्रदेश में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी संजय गुप्ता को मुख्य सचिव का अतिरिक्त कार्यभार, प्रबोध सक्सेना ने संभाला बिजली बोर्ड अध्यक्ष पद

हिमाचल प्रदेश सरकार ने वर्ष 1988 बैच के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी संजय गुप्ता को मुख्य सचिव पद का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा है। हरियाणा से मूल रूप से संबंधित संजय गुप्ता ने सिविल इंजीनियरिंग में शिक्षा प्राप्त की है और उन्होंने मैनेजमेंट ऑफ पब्लिक रिलेशन में डिप्लोमा भी किया है। उनके करियर में यह विशेष बात है कि उन्हें पहले भी सरकार की वरीयता सूची में शीर्ष स्थान मिलने के बावजूद मुख्य सचिव पद की स्थायी नियुक्ति नहीं मिली थी। इस बार भी उन्हें मुख्य सचिव पद का अतिरिक्त दायित्व सौंपने से पहले हिमाचल प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष पद संबंधी आदेश सरकार द्वारा जारी किए गए थे।

संजय गुप्ता लंबे समय से मुख्य सचिव पद की दौड़ में अग्रणी रहे हैं। उनकी वरिष्ठता और अनुभव को ध्यान में रखते हुए सरकार ने उन्हें यह अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी है। यह पहला अवसर है जब किसी आईएएस अधिकारी को मुख्य सचिव का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है। इससे पहले हिमाचल प्रदेश में मुख्य सचिव पद पर केवल स्थायी नियुक्ति ही होती थी। वर्तमान समय में सरकार ने पुलिस महानिदेशक के पद पर भी स्थायी नियुक्ति नहीं की है, जिससे डीजीपी पद का अतिरिक्त दायित्व भी लागू हुआ है। इस स्थिति में अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार शर्मा को जनजातीय विकास विभाग के साथ-साथ निदेशक रोप-वे और रैपिड ट्रांसपोर्ट का अतिरिक्त जिम्मा सौंपा गया है।

मुख्य सचिव पद की दौड़ में वर्ष 1993 बैच के आईएएस अधिकारी कमलेश कुमार पंत भी आगे चल रहे थे। उन्हें अतिरिक्त मुख्य सचिव के रूप में राजस्व, वित्तीय आयुक्त राजस्व, वन, गृह एवं सतर्कता विभागों के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश राज्य पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का अतिरिक्त दायित्व सौंपा गया है। यह कदम सरकार द्वारा प्रशासनिक कार्यों में संतुलन बनाए रखने और अनुभवियों को सम्मान देने का उदाहरण है।

संजय गुप्ता के अतिरिक्त मुख्य सचिव बनने के साथ ही वर्ष 1990 बैच के आईएएस अधिकारी प्रबोध सक्सेना ने हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड के अध्यक्ष पद का कार्यभार संभाला। प्रबोध सक्सेना ने मुख्य सचिव पद पर 6 माह का अतिरिक्त कार्यभार संभालने के बाद यह नया पदभार ग्रहण किया है। उनके लिए यह पद तीन वर्षों के लिए निश्चित किया गया है। इस दौरान वह सीधे मुख्यमंत्री को रिपोर्ट करेंगे और बोर्ड के उच्च अधिकारियों के साथ बैठकों में अपनी प्राथमिकताओं का निर्धारण करेंगे।

प्रबोध सक्सेना ने बोर्ड की वित्तीय स्थिति सुधारने और उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएं प्रदान करने को अपनी प्राथमिकता बताया। इसके अलावा, उन्होंने बताया कि उनकी प्रशासनिक योजना में बिजली बोर्ड की संचालन प्रणाली को और अधिक पारदर्शी और सक्षम बनाने के प्रयास शामिल होंगे। उनके पदभार संभालने के साथ ही बोर्ड की योजनाओं और परियोजनाओं के सुचारू क्रियान्वयन में सुधार की उम्मीद जताई जा रही है।

सरकार ने इस बार प्रशासनिक नियुक्तियों में अधिक लचीले और पारदर्शी कदम उठाए हैं। वरिष्ठ अधिकारियों को अतिरिक्त कार्यभार सौंपना, उनके अनुभव का सदुपयोग करना और प्रशासनिक जिम्मेदारियों में संतुलन बनाए रखना इसका प्रमुख उद्देश्य है। इससे न केवल विभागों का सुचारू संचालन सुनिश्चित होगा, बल्कि कर्मचारियों और जनता के बीच प्रशासनिक कार्यों की विश्वसनीयता भी बढ़ेगी।

संजय गुप्ता और प्रबोध सक्सेना की नियुक्तियां हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक ढांचे में एक नई दिशा का संकेत देती हैं। वरिष्ठता, अनुभव और कुशल नेतृत्व के आधार पर अधिकारियों को जिम्मेदारी देना, सरकार की प्रशासनिक रणनीति का हिस्सा है। इससे सरकारी विभागों की कार्यकुशलता बढ़ेगी और निर्णय प्रक्रिया में गति आएगी।

संजय गुप्ता का मुख्य सचिव पद का अतिरिक्त कार्यभार लेना और प्रबोध सक्सेना का बिजली बोर्ड अध्यक्ष पद संभालना, हिमाचल प्रदेश के प्रशासनिक और शासन तंत्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव माना जा रहा है। यह कदम राज्य के प्रशासनिक ढांचे को मजबूत करने और नीति निर्धारण में विशेषज्ञों की भूमिका को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।

इस नियुक्ति से जुड़े अन्य पहलुओं में यह शामिल है कि सरकार ने प्रशासनिक संतुलन और विभागों के सुचारू संचालन के लिए जिम्मेदारियों का पुनर्वितरण किया है। वरिष्ठ अधिकारियों के अनुभव का पूर्ण उपयोग, विभागीय कार्यों की गुणवत्ता और जनता के प्रति उत्तरदायित्व बढ़ाने में सहायक होगा। इसके साथ ही, हिमाचल प्रदेश में प्रशासनिक संरचना को और अधिक मजबूत, पारदर्शी और जिम्मेदार बनाने का प्रयास किया जा रहा है।

इस प्रकार, संजय गुप्ता का मुख्य सचिव का अतिरिक्त कार्यभार और प्रबोध सक्सेना का बिजली बोर्ड अध्यक्ष पद संभालना, राज्य प्रशासन के लिए नई उम्मीदें और दिशा का प्रतीक है। इस कदम से प्रदेश में प्रशासनिक कार्यों में तेजी, पारदर्शिता और कुशल नेतृत्व के लाभ देखने को मिलेंगे।

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