
हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) के चालक और परिचालक पिछले डेढ़ साल से वर्दी के लिए इंतजार कर रहे हैं। प्रदेश भर में बस सेवाएं दे रहे ये कर्मचारी अब भी उसी वर्दी में काम कर रहे हैं, जो उन्हें करीब 18 महीने पहले मिली थी। नियमों के अनुसार निगम द्वारा साल में दो बार वर्दी प्रदान की जाती है, लेकिन इस बार वर्दी वितरण में लंबा विलंब हुआ है।
स्थिति यह है कि लगातार ड्यूटी पर रहने के कारण कई कर्मचारियों की वर्दी फट चुकी है और वे मात्र एक ही वर्दी के सहारे सेवाएं दे रहे हैं। बारिश के इस मौसम में वर्दी समय पर सूख नहीं पाती, जिससे कर्मचारी ड्यूटी के समय उसे पहन नहीं पाते। ऐसे में जब निरीक्षण होता है और कर्मचारी वर्दी में नहीं पाए जाते, तो उन पर ₹1,500 तक का चालान कर दिया जाता है।
चालकों और परिचालकों का कहना है कि जब वर्दी समय पर नहीं दी जा रही, तो बिना वर्दी पाए चालान करना सरासर अन्याय है। इसको लेकर निगम प्रबंधन के खिलाफ कर्मचारियों में गहरा रोष है। यूनियन का कहना है कि उन्होंने वर्दी के मुद्दे पर कई बार निगम प्रबंधन से मुलाकात की, लेकिन अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है।
इस संबंध में एचआरटीसी परिचालक यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष प्रीत महेंद्र और महासचिव दीपेंद्र कंवर ने स्पष्ट कहा है कि जब तक वर्दी नहीं दी जाती, तब तक वर्दी न पहनने पर चालान की कार्रवाई बंद होनी चाहिए। उनका यह भी कहना है कि अगर निगम वर्दी उपलब्ध नहीं करा सकता, तो कर्मचारियों को वर्दी खरीदने के लिए राशि जारी करे ताकि वे स्वयं उसे खरीद सकें।
इस पूरे मामले में कर्मचारी खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। एक ओर वे पुरानी और फटी हुई वर्दी में लगातार ड्यूटी दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर बिना गलती के जुर्माना भी भरना पड़ रहा है। यूनियन की मांग है कि जब तक वर्दी नहीं मिलती, चालान पर तत्काल रोक लगाई जाए, ताकि कर्मचारियों को मानसिक और आर्थिक दबाव से राहत मिल सके।
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