Kangra: “विकसित कृषि संकल्प अभियान” से हिमाचल के किसानों को नई तकनीक और बढ़ी आमदनी की सौगात

ज्वाली (कांगड़ा), 29 मई। हिमाचल प्रदेश के कृषि एवं पशुपालन मंत्री प्रो. चंद्र कुमार ने आज कांगड़ा जिला के ज्वाली क्षेत्र से “विकसित कृषि संकल्प अभियान” का विधिवत शुभारंभ किया। यह अभियान 29 मई से 12 जून तक पूरे प्रदेश में चलाया जाएगा। इस अवधि में राज्यभर की ब्लॉक एवं ग्राम पंचायतों में किसानों के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिनका उद्देश्य किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों, नवीन कृषि नवाचारों और केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं की जानकारी देना है।

प्रो. चंद्र कुमार ने कहा कि यह अभियान केवल खेती के उत्पादन को बढ़ाने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका प्रमुख उद्देश्य किसानों की आमदनी बढ़ाकर उन्हें आत्मनिर्भर और सशक्त बनाना है। इस अभियान के माध्यम से किसानों को जैविक और प्राकृतिक खेती, आधुनिक बीज किस्मों, ड्रोन तकनीक, डिजिटल कृषि, कृषि स्टार्टअप्स, पीएम किसान योजना, फसल बीमा योजना और कृषि यंत्रीकरण जैसे विषयों पर विस्तार से जानकारी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि यह एक नई सोच और नई तकनीक को किसानों तक पहुँचाने का प्रयास है, जिससे कृषि क्षेत्र में बदलाव संभव हो सके।

कृषि मंत्री ने बताया कि अभियान को सफल बनाने के लिए कुल 40 टीमों का गठन किया गया है। इन टीमों में कृषि, बागवानी और पशुपालन विभागों के विशेषज्ञों के साथ-साथ कृषि विज्ञान केंद्रों, कृषि विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिकों और स्थानीय किसानों की भागीदारी सुनिश्चित की गई है। राज्य के प्रत्येक जिले में अभियान की निगरानी के लिए नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की गई है।

उन्होंने यह भी बताया कि प्रदेश सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत है। इसी दिशा में सरकार प्राकृतिक रूप से उगाई गई गेहूं पर 60 रुपये प्रति किलो, मक्की पर 40 रुपये प्रति किलो और कच्ची हल्दी पर 90 रुपये प्रति किलो न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) प्रदान कर रही है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि सुनिश्चित हो सके।

अभियान के शुभारंभ कार्यक्रम के दौरान तकनीकी सत्रों का आयोजन भी किया गया, जिसमें कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर, डॉ. वाईएस परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय सोलन और आईसीएआर के वैज्ञानिकों ने किसानों को विभिन्न तकनीकी विषयों पर मार्गदर्शन दिया। जिन किसानों की मिट्टी का परीक्षण किया गया था, उन्हें मृदा स्वास्थ्य कार्ड भी वितरित किए गए।

इस अवसर पर कृषि मंत्री ने एक मृदा परीक्षण वाहन को भी हरी झंडी दिखाकर रवाना किया, जो गांव-गांव जाकर खेतों की मिट्टी की जांच करेगा और किसानों को उसकी रिपोर्ट उपलब्ध कराएगा। यह वाहन किसानों को उनके खेतों की उर्वरक स्थिति की जानकारी देगा ताकि वे बेहतर निर्णय ले सकें। यह कार्यक्रम कृषि विज्ञान केंद्र और कृषि विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया, जिसमें लगभग 300 किसानों ने भाग लिया।

इस मौके पर कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के कुलपति डॉ. नवीन कुमार, प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ. विनोद शर्मा, कृषि विज्ञान केंद्र कांगड़ा के डॉ. संजय शर्मा, डॉ. दीप कुमार, डॉ. नीतू शर्मा, अतिरिक्त कृषि निदेशक डॉ. जीत सिंह, डॉ. राहुल कटोच, डॉ. कुलदीप धीमान सहित कई गणमान्य अधिकारी और वैज्ञानिक मौजूद रहे। साथ ही किसान सलाहकार समिति के अध्यक्ष विवेक ठाकुर, पूर्व ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष चैन सिंह गुलेरिया, कांग्रेस प्रवक्ता संसार सिंह संसारी, नगर पंचायत उपाध्यक्ष एवी पठानिया, कांग्रेस नेता मनमोहन सिंह, मनु शर्मा और अश्विनी चौधरी भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे।

यह अभियान प्रदेश के किसानों को वैज्ञानिक और डिजिटल युग की खेती से जोड़ने की दिशा में एक सशक्त पहल है, जिससे न केवल उनकी आमदनी बढ़ेगी, बल्कि कृषि को एक लाभकारी व्यवसाय के रूप में विकसित किया जा सकेगा।

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