Himachal: कौशल विकास भत्ता योजना में बच्चों की शिक्षा से हो रहा खिलवाड़, सेंटर संचालकों के बैंक खातों की जांच हो: समाजसेवी के डी राणा

कांगड़ा: हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा युवाओं को स्वरोजगार के लिए सक्षम बनाने हेतु शुरू की गई कौशल विकास भत्ता योजना अब सवालों के घेरे में है। इस योजना के अंतर्गत छात्रों को निजी प्रशिक्षण संस्थानों में तकनीकी और कंप्यूटर शिक्षा के लिए प्रति माह एक हजार रुपये की सहायता दी जाती है। यह राशि छात्रों के प्रशिक्षण शुल्क की अदायगी के लिए होती है। मगर अब समाजसेवी के डी राणा ने इस योजना के दुरुपयोग को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं।

के डी राणा का कहना है कि कुछ निजी शिक्षण संस्थान इस योजना का फायदा उठाकर बच्चों की पढ़ाई के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। ये संस्थान सिर्फ छात्रों का नाम योजना में रजिस्टर कर उन्हें प्रशिक्षण देने का दिखावा कर रहे हैं, जबकि असल में उनका उद्देश्य केवल सरकारी धन हड़पना है। उन्होंने बताया कि कुछ संस्थानों ने छात्रों के खातों में ऑटो डेबिट सिस्टम एक्टिवेट करवा रखा है, जिससे सरकार द्वारा भेजी गई राशि सीधे संस्थान के खातों में चली जाती है। इतना ही नहीं, कई मामलों में छात्रों से चेक साइन करवा कर अपने पास रख लिए जाते हैं ताकि भविष्य में भी बिना अनुमति के पैसे निकाले जा सकें।

राणा ने यह भी कहा कि राज्य सरकार के पास ऐसा कोई निजी शिक्षा बोर्ड नहीं है जो इन संस्थानों की निगरानी कर सके। कौशल विकास भत्ते के अंतर्गत पंजीकृत अधिकांश संस्थान या तो राज्य के बाहर की कंपनियों द्वारा चलाए जा रहे हैं या फिर कुछ निजी सोसाइटियाँ हैं, जो हिमाचल के युवाओं को सिर्फ नाममात्र की शिक्षा देकर भारी मुनाफा कमा रही हैं। इस प्रकार सरकार की योजना का लाभ राज्य से बाहर की संस्थाओं को मिल रहा है, जबकि हिमाचल के छात्रों को इसका वास्तविक लाभ नहीं मिल रहा।

समाजसेवी राणा ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को पत्र लिखकर मांग की है कि कौशल विकास भत्ते के तहत संचालित सभी केंद्रों के संचालकों के बैंक खातों की जांच करवाई जाए। उन्होंने कहा कि यह जांच बेहद आवश्यक है क्योंकि कुछ संस्थानों ने सरकारी धन का गलत तरीके से उपयोग कर रखा है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी मांग रखी कि या तो इस योजना को पूरी तरह से बंद किया जाए या इसमें आवश्यक संशोधन कर ऐसा शिक्षा बोर्ड गठित किया जाए जो हिमाचल प्रदेश के भीतर सभी निजी प्रशिक्षण संस्थानों की पात्रता सुनिश्चित कर सके।

राणा ने इस मानसिकता को बच्चों की शिक्षा के साथ खुला खिलवाड़ बताया और कहा कि सरकार को इस पर जल्द से जल्द संज्ञान लेना चाहिए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार इस पूरे प्रकरण में आंखें मूंदे बैठी है, जिससे करोड़ों रुपये की सरकारी धनराशि हिमाचल से बाहर जा रही है और कुछ निजी संस्थान केवल अपने आर्थिक लाभ के लिए इस योजना का उपयोग कर रहे हैं।

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