भानुपल्ली-बिलासपुर रेल लाइन के अंतर्गत बध्यात गांव के पास बन रही सुरंग नंबर-17 एक बार फिर विवादों में है। उच्च न्यायालय के आदेश के बाद सुरंग निर्माण कार्य तो दोबारा शुरू हो गया, लेकिन बीते 25 दिनों से सुरंग प्रभावित ग्रामीणों की समस्याओं का कोई समाधान नहीं हो पाया है। इससे स्थानीय लोगों में प्रशासन और सरकार के प्रति गहरी नाराजगी है। प्रभावितों का कहना है कि प्रशासन लगातार उनकी अनदेखी कर रहा है और उन्हें उनकी परेशानियों के साथ अकेला छोड़ दिया गया है।

रेलवे टनल प्रभावित एवं विस्थापित भूमि अधिग्रहण मंच के संयोजक अजय बंसल ने बताया कि बीती रात हुई भारी बारिश के कारण सावित्री देवी के मकान की दरारें और बढ़ गईं, साथ ही मकान का एक कोना भी थोड़ा बैठ गया। इससे पूरा परिवार दहशत में है और अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित है। ऐसी ही स्थिति अन्य तीन परिवारों की भी रही, जिन्होंने डर के मारे रात को सुरंग के भीतर शरण ली। इन परिवारों को लग रहा था कि उनके मकान किसी भी समय गिर सकते हैं।
ग्रामीणों के सुरंग में पहुंचने की जानकारी मिलते ही निर्माण कंपनी ने पुलिस को सूचित किया। पुलिस टीम मौके पर पहुंची, हालांकि प्रभावितों ने किसी तरह से निर्माण कार्य को बाधित नहीं किया। बावजूद इसके, ग्रामीणों का आरोप है कि पुलिस ने उन्हें सुरंग से हटने के लिए कहा और केस दर्ज करने की धमकी भी दी। जबकि ये लोग केवल सुरक्षा के लिहाज से सुरंग में रात बिताने पहुंचे थे, न कि विरोध प्रदर्शन करने।
घटना की जानकारी मिलते ही रविवार सुबह प्रशासन की ओर से नायब तहसीलदार, कानूनगो और पटवारी को मौके पर भेजा गया। अधिकारियों ने स्थिति का जायजा लिया। एसडीएम सदर डॉ. राजदीप सिंह ने बताया कि फिलहाल किसी मकान में गंभीर क्षति नहीं पाई गई है। उन्होंने कहा कि यदि भविष्य में किसी भी प्रकार की खतरे की संभावना सामने आती है, तो प्रशासन प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित करेगा। इसके लिए तकनीकी विशेषज्ञों की टीम को बुलाया गया है, जो मकानों का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करेगी। इसी रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
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