नूरपुर डिवीजन की ज्वाली रेंज के अंतर्गत आने वाले घडोली विट जंगल में खैर के हरे-भरे पेड़ों की अवैध कटाई ने वन विभाग और पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। 10 अप्रैल को सामाजिक कार्यकर्ता दुर्गेश कटोच द्वारा इस अवैध कटान को लेकर पुलिस में शिकायत दी गई थी, लेकिन अब तक न तो चोरों का कोई सुराग लग पाया है और न ही इस कटान की पूरी सच्चाई सामने आ सकी है।
इस मामले में हैरानी की बात यह है कि वन विभाग के अधिकारी मीडिया से बात करने से बच रहे हैं। जंगल की निगरानी में तैनात गार्ड चरणजीत का फ़ोन उस समय नेटवर्क से बाहर रहता है जब खैर माफिया से जुड़े सवाल पूछे जाते हैं। इससे उनकी भूमिका पर संदेह गहराता जा रहा है। ब्लॉक ऑफिसर ने पत्रकारों से बात करते हुए रविवार की छुट्टी का हवाला देकर जवाब टाल दिया, लेकिन वहीं गार्ड ने 9 कटे हुए खैर के हिस्से जब्त किए, जिन पर कोई नंबरिंग नहीं की गई थी।
जब पत्रकार राहुल राणा ने इस मामले में गार्ड से बात करनी चाही तो वह बहाने बनाते नज़र आए और बाद में उनका फ़ोन स्विच ऑफ हो गया। यह रवैया वन विभाग की कार्यशैली को लेकर कई सवाल खड़े करता है।
इस मामले पर थाना प्रभारी रैहन अजेव सिंह का कहना है कि “बचे हुए हिस्से वन विभाग द्वारा जब्त कर लिए गए हैं और पेड़ काटने वालों की तलाश जारी है।” वहीं, शिकायतकर्ता दुर्गेश कटोच का आरोप है कि “जिन लकड़ियों को कब्जे में लिया गया था, उनमें से कई अब गायब हैं और जो आज ब्लॉक ऑफिस रैहन में रखी गई है, उस पर कोई नंबर तक नहीं डाला गया है। क्या ऐसे सबूतों से जांच होगी या उन्हें छुपाने की कोशिश?”
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